कश्मीर मुद्दे पर इस्तीफा देने वाले IAS अधिकारी को जुलाई में मिला था कारण बताओ नोटिस
कश्मीर मुद्दे पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से इस्तीफा देने वाले अधिकारी कन्नन गोपीनाथन को गृह मंत्रालय ने कारण बताओ नोटिस भेजा था। पिछले साल केरल में आई बाढ़ के दौरान अपने काम से वाहवाही लूटने वाले कन्नन ने कश्मीर में हो रहे 'मौलिक अधिकारों के हनन' का आरोप लगाकर 21 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 33 वर्षीय कन्नन का कहना है कि कश्मीर मामले में कोई प्रतिक्रिया न देना उन्हें पीड़ा दे रहा था।
जुलाई में भेजा गया था नोटिस
इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने जुलाई में कन्नन को उनके काम में लापरवाही को लेकर एक कारण बताओ नोटिस भेजा था। दो पन्ने के इस नोटिस में कन्नन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए पांच कारण बताए गए थे। इनमें से एक कारण यह है कि बाढ़ प्रभावित केरल से लौटने के बाद उन्होंने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट जमा नहीं की है। पिछले साल आई बाढ़ के दौरान उन्हें केरल भेजा गया था।
जवाब देने के लिए दिए गए थे 10 दिन
नोटिस में दूसरा कारण लोक प्रशासन में अलग-अलग श्रेणियों के तहत दिए जाने वाले प्रधानमंत्री पुरस्कार से जुड़ा है। केंद्र का आरोप है कि कन्नन ने तय मानकों पर काम नहीं किया। उन्हें इसका जवाब देने के लिए 10 दिन का समय दिया गया था।
कन्नन बोले- पूरी ईमानदारी से की ड्यूटी
कन्नन से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफे का इस नोटिस से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका फैसला कश्मीर के मौलिक अधिकारों के साथ खड़ा होने से जुड़ा है। ड्यूटी की उपेक्षा करने के आरोपों पर कन्नन ने कहा कि उन्होंने पूरी लगन और योग्यता से अपनी ड्यटी की थी। उन्होंने कहा कि 2017-2018 की सालाना रिपोर्ट में उन्हें 10.0 में से 9.95 नंबर मिले थे।
कन्नन ने रविवार को दिया था इस्तीफा
केरल के रहने वाले 33 वर्षीय IAS अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने कश्मीर में 'मूल अधिकारों के हनन' और 'पाबंदियों' के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दिया था। 33 वर्षीय कन्नन कहना है कि मामले में कोई प्रतिक्रिया न देना उन्हें पीड़ा दे रहा था। वह दादर और नागर हवेली में कई अहम विभागों के मुख्य सचिव के तौर पर काम कर रहे थे और सरकारी बिजली वितरण कंपनी को घाटे से मुनाफे में पहुंचाने में उनका अहम योगदान था।
कन्नन ने कहा, इंसान को अपनी आत्मा को भी जवाब देना होता है
कन्नन ने NDTV से कहा, "ऐसा नहीं कि मेरे इस्तीफे से कोई फर्क पड़ेगा। लेकिन इंसान को अपनी आत्मा को भी जवाब देना होता है।" उन्होंने आगे कहा, "कश्मीर में 20 दिनों से लाखों लोगों के मूल अधिकार निलंबित हैं और भारत में कई लोगों को ये ठीक लग रहा है। ये भारत में 2019 में हो रहा है। अनुच्छेद 370 को हटाना मुद्दा नहीं है, बल्कि नागरिकों को इस पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार न देना असली मुद्दा है।"
शाह फैसल को हिरासत में लिए जाने पर गोपीनाथन ने उठाए सवाल
कन्नन ने कहा कि कश्मीर के लोग फैसले का स्वागत कर सकते हैं या इसका विरोध कर सकते हैं, ये उनका अधिकार है। उन्होंने कहा, "जब एक पूर्व IAS अधिकारी (शाह फैसल) को एयरपोर्ट से हिरासत में लिया गया, तब भी सिविल सोसाइटी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। ऐसा लगता है कि देश में ज्यादातर लोगों को इससे कोई दिक्कत नहीं है।" 7 साल से IAS अधिकारी गोपीनाथन ने इन्हें मुद्दों पर 21 अगस्त को इस्तीफा दे दिया।
गोपीचंद को किया था ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए प्रोत्साहित
अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश काडर के 2012 बैच के IAS रहे गोपीनाथन ने मिजोरम में कलेक्टर रहते हुए प्रसिद्ध बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद को बच्चों की ट्रेनिंग के लिए 30 जमीनी स्तर के बैडमिंटन केंद्र खोलने के लिए प्रोत्साहित किया था।