शीतकालीन सत्र से पहले नरेंद्र मोदी का विपक्ष पर निशाना, बोले- संसद नियंत्रित करने की कोशिश
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री मोदी ने हंस द्वार पर कहा कि संसद में स्वस्थ चर्चा हो। ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में अपना योगदान दें। दुर्भाग्य से कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, जिनको जनता ने अस्वीकार किया है, वे संसद को भी मुट्ठी भर लोगों के हुड़दंगबाजी से नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। आइए पूरी खबर जानें।
आगे क्या बोले मोदी?
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, "उनका अपना मकसद तो संसद की गतिविधि को रोकने से ज्यादा सफल नहीं होता है और देश की जनता उनके सारे व्यवहारों को गिनती है और जब समय आता है तो सजा भी देती है। सबसे ज्यादा पीड़ा की बात है जो नए सांसद हैं, उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं। सदन में बोलने का अवसर तक नहीं मिलता। लोकतांत्रिक परपंरा में हर पीढ़ी का काम आगे की पीढ़ी को तैयार करना है।"
80-90 बार जिनको जनता ने नकारा- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "80-90 बार जनता ने जिनको लगातार नकार दिया है, वे न संसद में चर्चा होने देते हैं, न लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं, न वे लोगों की आकांक्षाओं का कोई महत्व समक्षते हैं और उसका परिणाम है कि वे जनता की उम्मीदों पर कभी खरा नहीं उतरते। इसलिए जनता को उनको बार-बार रिजेक्ट करना पड़ रहा है। कुछ विपक्ष जिम्मेदारी से व्यवहार करते हैं।"
सुनिए, क्या बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
पहले दिन ही संसद स्थगित
शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन गौतम अडाणी पर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों के कारण विपक्ष ने सरकार को घेरने का प्रयास किया, जिससे संसद में हंगामा हो गया। इस कारण संसद 27 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है। बता दें, अमेरिका ने अडाणी पर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की साजिश रचने और अनुबंध हासिल करने के लिए करोड़ों की रिश्वत देने का आरोप लगाया है। इसको लेकर ही विपक्ष मोदी सरकार पर हावी है।
संसद में हंगामे के पहले से थे आसार
संसद में वक्फ संशोधन विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए गए थे। इस दौरान विपक्षी पार्टियों ने खूब विरोध किया था। इसके बाद इन विधेयकों को बना चर्चा के संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया था। इस मुद्दे पर दोबारा हंगामा हो सकता है। मणिपुर में दोबारा भड़की हिंसा का मुद्दा भी विपक्ष उठा सकता है।