#NewsBytesExplainer: भाजपा-JDS गठंबधन के बाद कर्नाटक में कैसे बदलेंगे समीकरण और कांग्रेस पर क्या होगा असर?
क्या है खबर?
पिछले कई दिनों से अटकलें लगाई जा रही थीं कि जनता दल सेक्युलर (JDS) भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल हो सकती है।
आज JDS नेता एचडी कुमारास्वामी ने गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर दिया। दोनों पार्टियां अब कर्नाटक में लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगी।
आइए समझते हैं कि इस कदम का क्या सियासी असर होगा।
नड्डा
नड्डा बोले- JD(S) का NDA में स्वागत
तीनों नेताओं की बैठक के बाद जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और JDS नेता एचडी कुमारस्वामी से गृह मंत्री अमित शाह की मौजदूगी में मुलाकात की। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि JDS ने NDA में शामिल होने का फैसला लिया है। हम NDA में उनका तहेदिल से स्वागत करते हैं। यह NDA और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण नए इंडिया, मजबूत भारत को और मजबूत करेगा।'
सीटें
JD(S) को मिलीं 4 सीटें
रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में सींटों के बंटवारे को लेकर भी सहमति बन चुकी है।
JDS ने अपने लिए 4 सीटें मांगी हैं, जिन्हें देने के लिए भाजपा ने सहमति जताई है। ये सीटें मांड्या, हासन, चिकबल्लापुर और बेंगलुरु (ग्रामीण) हैं।
ये वो सीटें हैं, जिन पर देवगौड़ा परिवार का कोई न कोई सदस्य चुनाव जीतता रहा है और इन सीटों पर वोक्कालिगा समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
समीकरण
भाजपा-JD(S) के साथ आने से कितने बदलेंगे राजनीतिक समीकरण?
कर्नाटक में करीब 17 फीसदी आबादी लिंगायत समुदाय की है। इन्हें भाजपा का वोटर माना जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा इसी समुदाय से आते हैं।
दूसरी ओर करीब 15 फीसदी आबादी वाला वोक्कालिगा समुदाय परंपरागत रूप से JDS का वोटर माना जाता है। एचडी देवगौड़ा वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं।
दोनों पार्टियों के साथ आने से राज्य में NDA का वोट बेस करीब 32 फीसदी हो जाएगा। इस लिहाज से NDA को मजबूती मिल सकती है।
कांग्रेस
गठबंधन का कांग्रेस पर क्या असर होगा?
कर्नाटक के हालिया विधानसभा चुनावों में भाजपा को 36.3 फीसदी वोट शेयर के साथ 66 सीटों पर जीत मिली थी।
43.2 फीसदी वोट शेयर के साथ कांग्रेस को 135 सीटें मिली थीं। JDS को भले ही 19 सीटें मिली हो, लेकिन उसे 13.4 फीसदी वोट मिले थे।
भाजपा और कांग्रेस के वोट शेयर में अंतर भी 7 फीसदी के आसपास था। अब जब JDS और भाजपा साथ आ गए हैं तो कांग्रेस के वोट शेयर में कटौती हो सकती है।
चुनौतियां
गठबंधन को लेकर क्या हैं चुनौतियां?
2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर जीत दर्ज की थी। JDS को मात्र 1 सीट मिली थी। इस लिहाज से देखा जाए तो भाजपा JDS से आगे है।
राजनीतिक विश्लेषकों का तर्क है कि JDS से हाथ मिलाए बिना ही भाजपा पिछला प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रहेगी।
इसी साल बेंगलुरू महानगर पालिका और पंचायत चुनाव भी होना है। इसमें पार्टियों के प्रदर्शन पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
1999 में देवगौड़ा ने JDS की स्थापना की थी। पार्टी की कर्नाटक के वोक्कालिगा समुदाय में बड़ी पैठ मानी जाती है और दक्षिण कर्नाटक को पार्टी का गढ़ माना जाता है। ओल्ड मैसूर के इलाके में पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती आई है।
JDS ऐसी पार्टी है, जिसके नेता एचडी कुमारस्वामी 2 बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन चुके हैं, लेकिन पार्टी ने आज तक किसी भी चुनाव में राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे।