काग्रेस से परेशान पूर्व प्रधानमंत्री और JD(S) प्रमुख देवगौड़ा ने कहा- कर्नाटक में होंगे मध्यावधि चुनाव
पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) प्रमुख एचडी देवगौड़ा ने कर्नाटक में मध्यावधि चुनाव होने की भविष्यवाणी की है। देवगौड़ा ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें राज्य में मध्यावधि चुनाव होने पर जरा सा भी शक नहीं है। बता दें कि कर्नाटक में JD(S) और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार है। 2018 में सरकार बनने के बाद से ही दोनों पार्टियों में मतभेद रहे हैं और इसी पृष्ठभूमि में देवगौड़ा ने ये बयान दिया है।
कांग्रेस के व्यवहार से नाराज हैं देवगौड़ा
समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, बेंगलुरू में रिपोर्टर्स से बात करते हुए देवगौड़ा ने कहा, "इस बात में कोई शक नहीं है कि (कर्नाटक में) मध्यावधि चुनाव होंगे। वो (कांग्रेस) कहते हैं कि वो पांच साल तक हमारा समर्थन करेंगे। लेकिन अब उनका व्यवहार देखिए।" इससे पहले गुरुवार को देवगौड़ा ने मीडिया को बताया था कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सूचित कर दिया है कि वह दोनों पार्टियों के नेताओं के सार्वजनिक बयानों से आहत हुए हैं।
सिद्धारमैया के बयान पर नहीं दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया के हालिया बयान पर सवाल पूछे जाने पर देवगौड़ा ने कहा, "मैं इस पर अभी प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता। अभी पर्याप्त समय है।" सिद्धारमैया ने कहा था कि अगर कांग्रेस राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ती तो बेहतर प्रदर्शन करती।
कुमारस्वामी भी बयां कर चुके हैं गठबंधन का दर्द
इससे पहले देवगौड़ा के बेटे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी भी गठबंधन पर अपना दर्द बयान कर चुके हैं। कुछ दिन पहले बयान देते हुए उन्होंने कहा था, "प्रतिदिन जिस दर्द से मैं गुजर रहा हूं, वो मैं बयां नहीं कह सकता। मैं इसे आपके सामने व्यक्त करना चाहता हूं, लेकिन कर नहीं सकता।" वहीं, लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि वह मुख्यमंत्री बनकर खुश नहीं है। ऐसा कहते वक्त उनकी आंखों में आंसू आ गए थे।
ये है मतभेदों का मुख्य कारण
कांग्रेस और JD(S) गठबंधन में मतभेदों का मुख्य कारण सिद्धारमैया को माना जाता है। JD(S) का आरोप है कि कांग्रेस विधायक उनकी नहीं सुनते और सिद्धारमैया अपनी अलग "सरकार" चलाते हैं। एक कांग्रेस विधायक और मंत्री ने सार्वजनिक तौर पर बयान भी दिया था कि सिद्धारमैया ही उनके मुख्यमंत्री हैं। इस पर कुमारस्वामी ने कहा था कि अगर कांग्रेस अपने विधायकों को नियंत्रण में नहीं रखती है तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
क्या है कर्नाटक विधानसभा की स्थिति?
कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों पर पिछले साल 12 मई को हुए चुनाव में किसी भी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा ने 104 सीटें जीतीं। वह बहुमत के आंकड़े से मात्र 9 सीटें कम रह गई थी। उसने सरकार भी बनाई, लेकिन वह एक हफ्ते के अंदर ही गिर गई। इसके बाद 80 सीट जीतने वाली कांग्रेस और 38 सीट जीतने वाली JD(S) ने साथ मिलकर गठबंधन में सरकार बनाई थी।