बंगाल: मुख्यमंत्री पद पर बनी रहेंगी ममता बनर्जी, भवानीपुर से रिकॉर्ड वोटों से जीतीं
क्या है खबर?
भवानीपुर विधानसभा सीट से आसान जीत दर्ज कर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी कुर्सी बचा ली है। उन्होंने अपनी विरोधी भाजपा की प्रियंका टिबरेवाल को रिकॉर्ड 58,832 वोटों से हराया। उन्हें इस बार 2011 विधानसभा चुनाव से भी ज्यादा वोट मिले हैं।
मुर्शिदाबाद जिले की जंगीपुर और समसेरगंज सीट पर भी ममता की तृणमूल कांग्रेस (TMC) आगे चल रही है। तीनों सीटों पर उसने भाजपा के प्रत्याशियों को हराया।
बयान
ममता ने कहा- एक भी वार्ड नहीं हारना दिल छूने वाला
ममता ने 'मां, माटी, मानुष' के अपने नारे के प्रतीक के तौर पर तीन उंगलियां दिखाकर अपनी जीत का जश्न मनाया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "सबसे ज्यादा दिल को छू देने वाली बात ये है कि मैं पूरी विधानसभा सीट में एक भी वार्ड नहीं हारी। पिछली बार मैं कुछ वार्ड में पीछे रह गई थी। अप्रैल में हुए चुनाव में हमारे खिलाफ कई साजिशें की गई थीं। हम आभारी हैं कि हम जीत गए।"
महत्व
मुख्यमंत्री बने रहने के लिए ममता के लिए अनिवार्य थी जीत
बता दें कि ममता बनर्जी के लिए भवानीपुर से जीत दर्ज करना अनिवार्य।
दरअसल, विधानसभा चुनावों में ममता को नंदीग्राम सीट से भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। हार के बाद भी वह मुख्यमंत्री बनी हुई थीं। ऐसे में उन्हें इस पद पर बने रहने के लिए नियुक्ति के छह महीनों (नवंबर तक) के भीतर चुनकर विधानसभा पहुंचना था।
अगर वो ऐसा नहीं कर पातीं तो उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ता।
नियम
क्या है संवैधानिक बाध्यता?
संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के तहत, अगर कोई व्यक्ति बिना सांसद या विधायक बने मंत्री बनता है तो उसके लिए छह महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी होता है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता तो उसे पद छोड़ना होता है।
चूंकि पश्चिम बंगाल में विधान परिषद नहीं है, इसलिए ममता बनर्जी को हर हाल में विधानसभा सीट जीतकर 4 नवंबर से पहले विधायक बनना था।
सीट
ममता की पारंपरिक सीट है भवानीपुर
बता दें कि भवानीपुर ममता बनर्जी की पारंपरिक सीट है और वे यहीं से चुनाव लड़ती रही हैं। हालांकि इस बार उन्होंने भाजपा को सीधे टक्कर देने के लिए नंदीग्राम से चुना लड़ा और भवानीपुर से सोभनदेव चट्टोपाध्याय चुनाव लड़े। चट्टोपाध्याय ने ममता को विधानसभा पहुंचाने के लिए जीत के बाद विधायकी से इस्तीफा दे दिया था।
जंगीपुर और समसेरगंज सीटों की बात करें तो विधायकों की मौत के कारण इन पर उपचुनाव हुआ है।