दिल्ली हिंसा पर सख्त रुख अपनाने वाले जज का तबादला, कानून मंत्री ने दी सफाई
क्या है खबर?
दिल्ली में हिंसा पर सख्त रुख अपनाने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के जज एस मुरलीधर का पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट तबादला कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 12 फरवरी को उनके तबादले की सिफारिश की थी जिसे बुधवार रात मंजूरी मिली।
इससे पहले दिन में ही मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस को भड़काऊ भाषण देने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने पर गंभीर रूप से विचार करने को कहा था।
याचिका
मंगलवार देर रात जस्टिस मुरलीधर ने की थी हिंसा पर सुनवाई
जस्टिस मुरलीधर उत्तर-पूर्व दिल्ली के कई इलाकों में हुई हिंसा के दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। इस हिंसा में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
मंगलवार देर रात इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस को घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाने का आदेश दिया था।
सख्त टिप्पणी
"हम इस शहर में 1984 जैसी घटना दोबारा नहीं होने दे सकते"
बुधवार को भी ये सुनवाई जारी रही और भाजपा नेता कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण का वीडियो देखने के बाद जस्टिस मुरलीधर ने सख्त टिप्पणी की।
उन्होंने कहा था, "हम इस शहर में 1984 जैसी एक और घटना नहीं होने दे सकते, कम से कम इस कोर्ट के होते हुए ऐसा नहीं हो सकता।"
उन्होंने पुलिस को भड़काऊ भाषण देने वाले अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज करने पर विचार करने को कहा था।
तबादला
12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की थी तबादले की सिफारिश
जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस को गुरूवार तक मामले में जबाव दाखिल करने को कहा था और आज इस पर सुनवाई होनी थी। लेकिन इससे पहले ही उनका तबादला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में हो गया।
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 12 फरवरी को उनके तबादले की सिफारिश की थी जिसे बुधवार रात को मंजूरी मिली।
जस्टिस मुरलीधर दिल्ली हाई कोर्ट के तीसरे सबसे वरिष्ठ जज थे और अब मुख्य न्यायाधीश या दूसरे वरिष्ठतम जज मामले की सुनवाई करेंगे।
नोटिफिकेशन
केंद्र सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन
केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है, 'भारत के संविधान के अनुच्छेद 222 के खंड (1) के तहत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद, दिल्ली हाई कोर्ट के जज श्री एस मुरलीधर का तबादला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जज के तौर पर करते हैं और उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में अपना पदभार संभालने का आदेश देते हैं।'
जानकारी
दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने किया था तबादले का विरोध
दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने पिछले हफ्ते जस्टिस मुरलीधर के तबादले का विरोध किया था और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से इस सिफारिश को वापस लेने की मांग की थी। उसने कहा था कि ऐसे तबादले याचिकाकर्ताओं के कोर्ट पर भरोसे को कम करते हैं।
राजनीति
प्रियंका गांधी ने साधा सरकार पर निशाना
जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए इसे लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने लिखा, 'मौजूदा व्यवस्था को देखते हुए आधी रात जस्टिस मुरलीधर का तबादला चौंकाने वाला नहीं है, लेकिन ये दुखद और शर्मनाक जरूर है। लाखों भारतीयों को लचीली और ईमानदार न्यायपालिका पर भरोसा है, न्याय को बांधने और उनके भरोसे को तोड़ने के सरकार के प्रयास निराशाजनक हैं।'
बयान
कानून मंत्री ने दी सफाई- तय प्रक्रिया के तहत हुआ तबादला
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सफाई देते हुए कहा कि तबादला भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की 12 फरवरी की सिफारिश के आधार पर लिया गया है और तबादले से पहले जस्टिस मुरलीधर की सहमति भी ली गई।
बड़े फैसले
सांप्रदायिक हिंसा और व्यक्तिगत स्वंतत्रता पर बड़े फैसले दे चुके हैं न्यायाधीश मुरलीधर
जस्टिस मुरलीधर को सांप्रदायिक हिंसा पर सख्त रुख और व्यक्तिगत आजादी के समर्थन के लिए जाना जाता है।
1987 के हाशिमपुरा नरसंहार में उन्होंने ही उत्तर प्रदेश PAC के सदस्यों को दोषी ठहराया था। वहीं 1984 सिख विरोधी दंगों के मामलों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को भी उन्होंने ही सजा सुनाई थी।
जस्टिस मुरलीधर समलैंगिकता को अपराध बताने वाली IPC की धारा 377 को खत्म करने वाली दो सदस्यीय बेंच का हिस्सा भी थे।