पश्चिम बंगाल: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बड़ा ऐलान, नंदीग्राम से लड़ेंगी आगामी विधानसभा चुनाव
क्या है खबर?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से चुनाव लड़ेगी। उनका ये ऐलान इसलिए बेहद अहम है क्योंकि नंदीग्राम को हाल ही में तृणमूल कांग्रेस (TMC) छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है।
इसके अलावा नंदीग्राम उस किसान आंदोलन का भी गढ़ था जिसकी मदद से ममता 10 साल पहले वामपंथी पार्टियों को हटाकर सत्ता पर काबिज होने में कामयाब रही थीं।
बयान
ममता बनर्जी बोलीं- नंदीग्राम मेरे लिए भाग्यशाली जगह
पिछली पांच साल में पहली बार नंदीग्राम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, "मैं नंदीग्राम से लडूंगी। नंदीग्राम मेरे लिए भाग्यशाली जगह है।"
अभी भवानीपुर से सांसद ममता ने आगे कहा, "भवानीपुर बुरा मत मानना। मैं आपको एक अच्छा उम्मीदवार दूंगी।"
बाद में उन्होंने कहा, "नंदीग्राम मेरी बड़ी बहन है तो भवानीपुर मेरी छोटी बहन है। अगर संभव हुआ तो मैं दोनों से लडूंगी। अगर मैं भवानीपुर से लड़ने में नाकामयाब रही तो कोई और लड़ेगा।"
पृष्ठभूमि
ममता को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाने में नंदीग्राम का अहम योगदान
बता दें कि ममता को बंगाल की सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाने में नंदीग्राम का अहम योगदान है।
दरअसल, 2007 में यहां विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) बनाने के वामपंथी सरकार के फैसले के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन हुआ था और पुलिस और किसानों के बीच हुई झड़प में 14 लोग मारे गए थे।
इसके बाद ममता ने किसानों की जमीन को बचाने के लिए 'मां, माटी, मानुष' अभियान चलाया था और इसी की बदौलत 2011 में सत्ता में आई थीं।
गढ़
सुवेंदु अधिकारी और उनके परिवार का गढ़ है नंदीग्राम
नंदीग्राम में चलाए गए इस अभियान में तब TMC में रहे सुवेंदु अधिकारी ने भी अहम भूमिका निभाई थी और इसकी बदौलत वह TMC के शीर्ष नेताओं में शामिल होने में कामयाब रहे थे।
नंदीग्राम को अधिकारी का गढ़ माना जाता है और उनकी इस पकड़ के कारण पार्टी ग्रामीण बंगाल में लगभग अपराजित बन गई थी। अधिकारी के परिवार का भी इलाके में प्रभाव रहा है और उनके पिता और छोटे भाई यहां से सांसद हैं।
दिलचस्प भिडंत
ममता का फैसला अधिकारी को सीधी चुनौती
नंदीग्राम पर अधिकारी की इसी पकड़ के कारण माना जा रहा है कि यहां से चुनाव लड़ने का फैसला करने ममता ने अधिकारी को सीधी चुनौती दी है।
उनका ये फैसला न सिर्फ TMC के जमीनी कार्यकर्ताओं में जोश पैदा करेगा, बल्कि भाजपा के लिए भी एक बड़ी चुनौती साबित होगा।
बता दें कि अधिकारी दिसंबर में 40 अन्य TMC नेताओं के साथ भाजपा में शामिल हुए थे और अभी वह भाजपा के अहम हथियारों में से एक हैं।
मुकाबला
बंगाल में गर्मियों में होने हैं विधानसभा चुनाव
बता दें कि पश्चिम बंगाल में इस साल गर्मियों में विधानसभा चुनाव होने हैं और राज्य की 294 विधानसभा सीटों पर मुख्य टक्कर सत्तारूढ़ TMC और भाजपा के बीच मानी जा रही है।
अभी तक बंगाल में छोटी पार्टी रही भाजपा इस बार TMC के किले में सेंध लगाने की तैयारी के साथ उतरी है और इसके लिए उसने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। खुद अमित शाह चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति तैयार कर रहे हैं।
जानकारी
शाह ने पार्टी को दिया 200 सीटें जीतने का लक्ष्य
2019 लोकसभा चुनाव में बंगाल की 42 में से 18 सीटें जीतने से भाजपा के आत्मविश्वास में इजाफा हुआ है और शाह ने राज्य भाजपा को विधानसभा चुनाव में 200 सीटें जीतने का लक्ष्य दिया है। हालांकि विशेषज्ञ इस लक्ष्य को "अति-महत्वाकांक्षी" मान रहे हैं