
सिंधु जल संधि को लेकर साथ आए चीन और पाकिस्तान, बनाई ये योजना
क्या है खबर?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को रद्द कर दिया है। इससे बौखलाया पाकिस्तान अब चीन की शरण में जा पहुंचा है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत के कदम के जवाब में चीन और पाकिस्तान ने एक बड़ी बांध परियोजना के निर्माण में तेजी लाई है। इससे आशंका है कि चीन सिंधु जल संधि में हस्तक्षेप कर सकता है, जो क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा सकता है।
बांध
पाकिस्तान-चीन ने बांध निर्माण में तेजी लाई
द कंवर्सेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत द्वारा संधि को रद्द किए जाने के बाद चीन और पाकिस्तान ने एक प्रमुख बांध परियोजना के निर्माण में तेजी ला दी है, जो पाकिस्तान के कुछ हिस्सों को पानी और बिजली प्रदान करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पाकिस्तान और चीन के बीच 6 दशकों से विकसित मजबूत रिश्तों को दर्शाता है।
चिंता
रिपोर्ट में दावा- बढ़ सकता है क्षेत्रीय तनाव
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन इस विवाद में एक तटस्थ पर्यवेक्षक नहीं है, बल्कि लंबे समय से इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने और भारत का मुकाबला करने की इच्छा रखता रहा है। भारत को चिंता है कि बीजिंग अपने क्षेत्र में भारत में आने वाली नदियों के प्रवाह को बाधित करके जवाब दे सकता है। सिंधु जल संधि पर बीजिंग द्वारा किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप क्षेत्रीय तनाव को और भड़का सकता है।
हित
सिंधु संधि में खुद को हितधारक मान रहा चीन
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन खुद को सिंधु जल संधि का अहम पक्षकार मानने लगा है। चीनी मीडिया ने इस मुद्दे पर भारत को आक्रामक बताते हुए चेतावनी दी है कि अगर भारत 'पानी को हथियार' की तरह इस्तेमाल करता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। चीन का दावा है कि सिंधु नदी का स्रोत चीन के पश्चिमी तिब्बत क्षेत्र में है, जो इस विवाद को और संवेदनशील बनाता है।
संकट
सिंधु संधि रद्द होने से पाकिस्तान में जलसंकट
सिंधु संधि रद्द होने का पाकिस्तान में असर दिखने लगा है। आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान के सिंधु बेसिन में बांधों से छोड़े जा रहे जल प्रवाह में 15 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। ये पिछले साल इसी अवधि की तुलना में काफी कम है। पाकिस्तानी अधिकारियों के अनुसार, यह संकट खरीफ सीजन की शुरुआत में ही 21 प्रतिशत जल की कमी को दर्शाता है। सिंधु संधि बहाल करने के लिए पाकिस्तान ने भारत को 4 पत्र लिखे हैं।
संधि
क्या है सिंधु जल संधि?
विश्व बैंक की मध्यस्थता से 1960 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। इसके तहत सिंधु घाटी में बहने वाली 3 पूर्वी नदियों (रवि, सतलज, व्यास) पर भारत का, जबकि 3 पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर पाकिस्तान का अधिकार है। नदियां भारत से होकर बहती हैं, इसलिए पश्चिमी नदियों के 20 प्रतिशत पानी पर भारत का अधिकार है, वो सिंचाई समेत अन्य परियोजनाओं में इसका उपयोग करता है।