Page Loader
नागरिकता कानून: विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों को झटका, बैठक का बहिष्कार करेंगी ममता बनर्जी

नागरिकता कानून: विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों को झटका, बैठक का बहिष्कार करेंगी ममता बनर्जी

Jan 09, 2020
04:32 pm

क्या है खबर?

नागरिकता कानून के खिलाफ राजनीतिक विपक्ष को एकजुट करने की कांग्रेस की कोशिशों को एक बड़ा झटका लगा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 13 दिसंबर को दिल्ली में बुलाई गई कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की विपक्षी पार्टियों की बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और वामपंथी पश्चिम बंगाल में गंदी राजनीति कर रहे हैं और वो नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ अकेले लड़ेंगीं।

बयान

देशव्यापी हड़ताल के दौरान हिंसा के कारण बहिष्कार करेंगी ममता

ममता ने गुरूवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान ये ऐलान किया। उन्होंने सदन को बताया कि उन्होंने बुधवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल के दौरान राज्य में हुई हिंसा के कारण इस बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। इस हड़ताल को वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस का समर्थन हासिल था और इस दौरान बंगाल में कुछ जगहों पर हिंसा हुई थी। ममता ने वामपंथी पार्टियों पर हिंसा करने का आरोप लगाया है।

घोषणा

ममता बोली, नागरिकता कानून के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी

इस दौरान ममता ने बाकी विपक्षी पार्टियों से बैठक में हिस्सा नहीं लेने के उन्हें "माफ" करने की अपील की और कहा कि उन्होंने ही इस विचार को आगे रखा था। उन्होंने कहा, "लेकिन कल राज्य में जो हुआ, उसके बाद मेरे लिए बैठक में हिस्सा लेना संभव नहीं है।" उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी और वो बंगाल में इस कानून और NRC को लागू नहीं होने देंगी।

प्रस्ताव

नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने से किया इनकार

इस दौरान CPM ने ममता को नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने को कहा। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वो पहले ही अपनी आवाज उठा चुकी है और उन्हें अब एक प्रस्ताव पारित करने की जरूरत महसूस नहीं होती। जब CPIM और कांग्रेस ने उनके इस जवाब पर शोर किया तो उन्होंने कहा, "आपको मुझे बताने की जरूरत नहीं है कि नागरिकता कानून के खिलाफ कैसे लड़ना है।"

विपक्ष की बैठक

विपक्ष की बैठक के अहम सूत्रधार हैं सीताराम येचुरी

बता दें कि नागरिकता कानून के खिलाफ लड़ाई में अब तक सुस्त नजर आई कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों और यूनिवर्सिटी कैंपसों में हिंसा पर चर्चा करने के लिए 13 जनवरी को बैठक बुलाई है। CPM महासचिव सीतराम येचुरी इस बैठक के आयोजन में अहम सूत्रधार हैं और हाल में वो समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से भी मिले थे। लेकिन ममता ने उनकी कोशिशों को एक करारा झटका दिया है।

राजनीति

बंगाल की राजनीति में छिपा है ममता के ऐलान का राज

ममता के इस ऐलान को बंगाल की राजनीतिक समीकरण के जरिए समझा जा सकता है। राज्य में तृणमूल कांग्रेस, भाजपा, वामपंथी पार्टियों औऱ कांग्रेस के बीच चौतरफा राजनीतिक मुकाबला है। ममता ने अपनी राजनीतिक पूंची वामपंथी पार्टियों को विरोध करते हुए ही बनाई है और भाजपा की तरह वो उनकी भी कट्टर विरोधी हैं। कांग्रेस के साथ उनका रिश्ता भले ही इतना कड़वा नहीं हो लेकिन अच्छा भी नहीं है।

जानकारी

2022 में राज्य में होने हैं विधानसभा चुनाव

पश्चिम बंगाल में 2022 में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में ममता को डर है कि कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों के साथ बहुत अधिक नजदीकियां राज्य में उनकी राजनीति और उनके वोटबैंक को प्रभावित कर सकती है।