भारत में कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव और क्या है इसकी प्रक्रिया?
भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है। संविधान के अनुसार, कार्यकाल की समाप्ति से पहले चुनाव कराना आवश्यक है। ऐसे में चुनाव आयोग ने मंगलवार को 16वें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसके लिए मतदान 6 अगस्त को होगा और उसी दिन मतगणना होगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 19 जुलाई है। आइये जानते हैं कि भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन करता है मतदान?
संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल प्रणाली से होता है। निर्वाचक मंडल में राज्यसभा और लोकसभा के सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्य होते हैं। दोनों सदनों के सदस्य संयुक्त बैठक में आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के जरिए उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। यह मतदान गोपनीय होता है। निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित और 12 मनोनीत तथा लोकसभा के 543 सदस्य शामिल होते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव में कैसे डाला जाता है वोट?
उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान खास तरीके से होता है और इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं। इसमें मतदाता को वोट तो एक ही देना होता है, मगर उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है। उन्हें बैलट पेपर पर मौजूद उम्मीदवारों में अपनी पहली पसंद को 1, दूसरी पसंद को 2 और इसी तरह से आगे की प्राथमिकता देनी होती है। राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति चुनाव से संबंधित किसी भी विवाद का निर्णय सुप्रीम कोर्ट करता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में समान होता है वोटों का मूल्य
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में राष्ट्रपति के चुनाव की तरह सदस्यों के वोट का मूल्य अलग-अलग नहीं होता है। इसमें सभी सांसदों के वोट का मूल्य एक समान होता है। इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव के मतदान अधिकारी लोकसभा के महासचिव होंगे। इसका कारण है कि राज्यसभा महासचिव राष्ट्रपति चुनाव के रिटर्निंग अधिकारी हैं। ऐसे में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए लोकसभा महासचिव का नंबर आएगा। मतदान संसद की पहली मंजिल के कक्ष 63 में होगा।
कौन बन सकता है भारत का उपराष्ट्रपति?
उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक होने के साथ 35 साल की आयु जरूरी है। इसी तरह उसमें राज्यसभा सदस्य होने की पात्रता भी होनी चाहिए। उसके पास इलेक्टोरल कॉलेज के 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक भी होना जरूरी है। इसके अलावा वह केंद्र या राज्य सरकार या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण में लाभ के पद पर भी नहीं होना चाहिए। उपराष्ट्रपति पांच साल की अवधि के लिए पद पर बने रह सकता है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए क्या है नामांकन प्रक्रिया?
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए कोई भी उम्मीदवार अधिकतम चार नामांकन पत्र दाखिल कर सकता है और इनके लिए उन्हें अलग-अलग अमानत राशि (15,000 रुपये प्रति नामांकन) जमा करानी होती है। उम्मीदवार नामांकन की अंतिम तिथि या उससे पहले अपनी इच्छा से नामांकन वापस भी ले सकता है। संविधान में उल्लेख किया गया है कि कोई भी राजनीतिक दल उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान के लिए व्हिप जारी नहीं कर सकता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
भारत में उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है। भारत के राष्ट्रपति की मृत्यु, महाभियोग, उनके निष्कासन, त्यागपत्र या अन्य किसी स्थिति में नए राष्ट्रपति की नियुक्ति होने तक उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति होता है और उनके सभी कार्यों का संचालन करता है। ऐसे में देश की संसदीय व्यवस्था में उपराष्ट्रपति का पद बहुत महत्वपूर्ण होता है। राष्ट्रपति के चुनाव के विपरीत उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए विधायक निर्वाचक मंडल का हिस्सा नहीं होते हैं।