मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरी, राज्यपाल को इस्तीफा सौंपेंगे मुख्यमंत्री कमलनाथ
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने का ऐलान किया है। कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद उनकी सरकार अल्पमत में चली गई थी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उसे आज शाम पांच बजे से पहले बहुमत साबित करना था। लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले ही उन्होंने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। कमलनाथ के इस्तीफे के बाद भाजपा राज्य में सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है।
कमलनाथ बोले- सच सामने आएगा
इस्तीफे का ऐलान करते हुए अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कमलनाथ ने कहा, "इस देश के लोग बेंगलुरू में विधायकों को बंधक बनाए जाने की घटना के पीछे का सच देख सकते हैं। सच सामने आएगा। लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे।" उन्होंने आगे कहा, "भाजपा सोचती है कि मेरे प्रदेश को हराकर खुद जीत जाएगी। वे ऐसा कभी नहीं कर सकते।" बता दें कि कांग्रेस भाजपा पर उसके बागी विधायकों को बंधक बनाए जाने का आरोप लगाती रही है।
10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद पैदा हुआ संकट
मध्य प्रदेश का सियासी संकट 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस के इस्तीफे के साथ शुरू हुआ था। उनके इस्तीफे के बाद उनके खेमे के 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया जिनमें छह मंत्री भी शामिल हैं। विधानसभा स्पीकर नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने छह मंत्रियों का इस्तीफा तो स्वीकार कर लिया लेकिन बाकी बागी विधायकों से उनसे मिलकर इस्तीफा सौंपने को कहा। वहीं कांग्रेस लगातार इन बागी विधायकों को मनाने की कोशिश करती रही।
राज्यपाल के कहने पर भी कमलनाथ ने साबित नहीं किया बहुमत
विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस सरकार के बहुमत पर भी सवाल उठने लगे और राज्यपाल लालजी टंडन ने दो बार मुख्यमंत्री कमलनाथ को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था। लेकिन कमलनाथ ने ये कहते हुए ऐसा करने से मना कर दिया कि राज्यपाल के ये आदेश असंवैधानिक हैं। इस बीच विधानसभा स्पीकर नर्मदा प्रजापति ने कोरोना वायरस के कारण विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आज फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश
स्पीकर के इस फैसले के खिलाफ भाजपा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और उससे फ्लोर टेस्ट कराने को लेकर निर्देश जारी करने को कहा। कल सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कांग्रेस सरकार से आज शाम पांच बजे तक बहुमत साबित करने का कहा। इस बीच देर रात स्पीकर ने बाकी 16 बागी विधायकों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया और तभी कमलनाथ सरकार का गिरना लगभग तय हो गया।
कुछ ऐसी है मध्य प्रदेश विधानसभा की स्थिति
मौजूदा संकट से पहले 230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 114 और भाजपा के 107 विधायक थे। कांग्रेस ने बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बना रखी थी। अब उसके 22 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद उसके विधायकों की संख्या गिरकर 92 रह गई है। वहीं स्पीकर ने भाजपा के एक विधायक का इस्तीफा भी स्वीकार किया है और उसके विधायकों की संख्या 106 हो गई है।
सरकार बना सकती है भाजपा, राज्यसभा चुनाव में भी होगा फायदा
अगर भाजपा सरकार बनाने का दावा करती है तो वो केवल अपने बलबूते पर सरकार बना सकती है। दरअसल, कांग्रेस के 22 बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद विधानसभा का संख्याबल गिरकर 208 रह गया है और सरकार बनाने के लिए 105 विधायक चाहिए। भाजपा के पास 106 विधायक हैं और वो आसानी से सरकार बना सकती है। इसके अलावा 26 मार्च को होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में भी उसे एक सीट का फायदा हो सकता है।