कोटा से छात्रों को लाने के लिए योगी सरकार ने भेजी बसें, नीतीश ने बताया अन्याय
लॉकडाउन के कारण राजस्थान के कोटा में फंसे अपने छात्रों को वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लगभग 250 बसें भेज रही है। 200 बसें आगरा से और बाकी बसें झांसी से जाएंगी और लगभग 7,000 छात्रों को वापस लाएंगी। आगरा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा, "कोटा में फंसे बच्चों को वापस लाने के लिए बसें भेजी जा रही हैं... हर बस 25 बच्चों को वापस लाएगी।"
लॉकडाउन के कारण कोटा में फंसे 40,000 छात्र
प्रतियोगी परीक्षाओं के कोचिंग सेंटर्स के लिए प्रसिद्ध कोटा में हर साल लाखों छात्र तैयारी के लिए आते हैं। कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से लगभग 40,000 छात्र यहीं फंस गए थे। शुरू में कोटा प्रशासन ने छात्रों को उनके गृह राज्य वापस जाने के लिए पास देने की व्यवस्था की और लगभग 10,000 छात्र इनके माध्यम से अपने घर लौटे। लेकिन हाल ही में बिहार सरकार की आपत्ति के बाद इन्हें बंद कर दिया गया।
लॉकडाउन बढ़ाए जाने के बाद चलाया था ट्विटर ट्रेंड
14 अप्रैल को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने का ऐलान किया तो कोटा में फंसे इन छात्रों ने #sendusbackhome से ट्विटर ट्रेंड चलाया और इस पर 50,000 से अधिक ट्वीट किए गए। इसके बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने राज्य के छात्रों को वापस लाने के लिए बसें भेजने का फैसला लिया है। अधिकारियों ने बताया कि बसों के साथ खाना, पानी की बोतलें, मास्क और सैनिटाइजर्स भी भेजे जाएंगे।
उत्तर प्रदेश को छोड़ अन्य किसी राज्य ने नहीं भेजी बसें
ऐलन करियर इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन महेश्वरी के मुताबिक बिहार के 6,500, मध्य प्रदेश के 4,000, झारखंड के 3,000, हरियाणा के 2,000, महाराष्ट्र के 2,000 और पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों के एक-एक हजार छात्र कोटा में फंसे हुए हैं। अभी तक केवल उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने राज्यों के छात्रों को वापस लाने की घोषणा की है और अन्य किसी राज्य की तरफ से बसें भेजने का ऐलान नहीं किया गया है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अन्य राज्यों से भी अपील
मामले पर ट्वीट करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, "जैसे उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान के कोटा में रह रहे उत्तर प्रदेश के छात्रों को वापस बुलाया है, अन्य राज्यों के छात्रों के लिए भी ऐसा किया जा सकता है। कोटा के छात्रों को संबंधित राज्य सरकार की सहमति पर वापस उनके घर भेजा जा सकता है ताकि ये युवा लड़के और लड़कियां घबराएं नहीं और तनाव महसूस न करें।"
नीतीश कुमार ने की फैसले की आलोचना
वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम की आलोचना की है। उन्होंने कहा, "जिस तरीके से कोटा से छात्रों को वापस लाने के लिए विशेष बसें चलाई जा रही हैं, वह लॉकडाउन के सिद्धांतों के साथ अन्याय है।" इससे पहले बिहार सरकार मामले पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास आपत्ति दर्ज करा चुकी है और उसका कहना है अगर छात्रों को अनुमति दी जाती है तो प्रवासी मजदूरों को किस आधार पर रोका जाएगा।
प्रवासी मजदूरों के लिए भी उत्तर प्रदेश सरकार ने चलाई थीं बसें
गौरतलब है कि लॉकडाउन के पहले चरण के शुरूआती दिनों में दिल्ली से अपने राज्य के प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए भी उत्तर प्रदेश सरकार ने 100 से अधिक बसें चलाईं थीं। हालांकि एक दिन बाद ही इन्हें बंद कर दिया गया था।
उत्तर प्रदेश में क्या है कोरोना वायरस की स्थिति?
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से संक्रमण के 846 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 14 की मौत हुई है। आगरा कोरोना वायरस का केंद्र बना हुआ है और यहां लगभग 170 मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि आगरा में वायरस को फैलने से रोकने के प्रशासन के प्रयासों की तारीफ हो रही है और 'आगरा मॉ़डल' के नाम से पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही है।