महाराष्ट्र: ठाकरे सरकार ने वापस लिया नए कृषि कानूनों का लागू करने का आदेश
महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को नए कृषि कानूनों को लागू करने वाला आदेश वापस ले लिया है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले महीने यह आदेश जारी किया था। कांग्रेस की तरफ से कैबिनेट बैठक का बहिष्कार करने की धमकी के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के साथ भागीदार कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) इन कानूनों को किसान विरोधी बताकर इनका विरोध कर रही हैं।
कब जारी हुआ था आदेश?
दरअसल, 10 अगस्त को राज्य में सभी कृषि उपज एवं पशुधन बाजार समितियों (APMC) और जिला कृषि सहकारी समितियों को प्रस्तावित कानूनों पर तीन अध्यादेशों को लागू करने का आदेश दिया गया था। ये विधेयक, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 थे। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये तीन विधेयक कानून का रूप ले चुके हैं।
पहले ही कानूनों के खिलाफ बोल चुके थे पवार
इन विधेयकों को लेकर शिवसेना का रूख स्पष्ट नहीं था। हालांकि, वह इन कानूनों के लिए केंद्र सरकार पर निशाना जरूर साध रही थी। अब लंबी दुविधा के बाद उद्धव ठाकरे ने अपनी सरकार द्वारा पहले जारी किए गए आदेशों को वापस ले लिया है। इससे पहले उप मुख्यमंत्री और NCP नेता अजित पवार ने कहा था कि राज्य में नए कानून लागू नहीं होंगे। कांग्रेस इन कानूनों के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन कर रही है।
सोनिया गांधी ने राज्यों को लिखा था पत्र
बीते सोमवार को भी सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित सभी राज्यों को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि कृषि राज्य का विषय है और राज्य सरकारों को इनमें संशोधन पर विचार करना चाहिए।
रविवार को कानून बने नए कृषि विधेयक
किसानों और विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को नए कानूनों को मंजूरी दी थी। इन कानूनों के खिलाफ कई राज्यों में किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां तक की भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) भी इन विधेयकों को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन (NDA) से अलग हो चुकी है। मोदी सरकार में SAD की एकमात्र प्रतिनिधि हरसिमरत कौर ने भी विधेयकों का विरोध करते हुए मंत्रीपद छोड़ दिया था।
कानून के किन प्रावधानों का हो रहा विरोध?
विपक्षी दलों के साथ-साथ देशभर के किसान संगठन और आढ़ती भी इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इन कानूनों के जरिये सरकार फसलों पर दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सरकारी मंडी की व्यवस्था खत्म करना चाहती है। हालांकि, सरकार का कहना है कि MSP व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी। इन प्रावधानों और उनके विरोध की वजहें विस्तार से जानने के लिए यहां टैप करें।