केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 74 साल की उम्र में निधन
केंद्रीय केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) संरक्षक रामविलास पासवान का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। वह 74 साल के थे। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था। कुछ दिन पहले हालत बिगड़ने पर उन्हें ICU में भर्ती किया गया था। शाम को अचानक तबीयत बिगड़ने से उनका निधन हो गया। इससे राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर छा गई है।
बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर दी निधन की जानकारी
उनके बेटे चिराग पासवान ने रात को ट्वीट कर निधन की जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट किया, 'पापा, अब आप इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं। आपको बहुत याद कर रहा हूं।' इस ट्वीट के साथ उन्होंने अपने बचपन की तस्वीर भी शेयर की है। बता दें कि पासवान बिहार की राजनीति के साथ केंद्र में जाना पहचाना चेहरा थे और लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री का पदभार संभाला था।
यहां देखें चिराग पासवान का ट्वीट
2 अक्टूबर को हुई थी पासवान के दिल की सर्जरी
बता दें तबीयत खराब होने के चलते पासवान को सितंबर महीने में अस्पताल में भर्ती कराया था। इसके बाद गत 2 अक्टूबर AIIMS में उनके दिल की सर्जरी हुई थी। यह उनकी दूसरी सर्जरी थी। इससे पहले उनकी बायपास सर्जरी हो चुकी थी। सर्जरी के बाद से वह ICU में भर्ती थे और चिकित्सा टीम उनके स्वास्थ्य पर नजरें बनाए हुए थी, लेकिन शाम को उनकी अचानक तबीयत बिगड़ी और कई प्रयासों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने पासवान के निधन पर जताया शोक
पासवान के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है। वह संसद के सबसे सक्रिय और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सदस्यों में से थे। वह दबे-कुचलों की आवाज थे।' इसी तरह केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, गिरिराज सिंह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, शशि थरूर, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदि ने भी शोक जताया है।
मैने अपना दोस्त और मजबूत सहयोगी खो दिया- मोदी
इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, 'मैं इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता। हमारे देश के लिए एक ऐसा शून्य हो गया है, जिसे शायद कभी नहीं भरा जा सकेगा। रामविलास जी का जाना यह व्यक्तिगत क्षति है। मैंने अपना दोस्त और मजबूत सहयोगी खो दिया।' उन्होंने आगे लिखा, 'उन्होंने कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के माध्यम से राजनीति में कदम रखा। उन्होंने हमेशा गरीबों की मदद करने का प्रयास किया था।'
पासवान के नाम दर्ज है छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का अनूठा रिकॉर्ड
रामविलास पासवान के नाम छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का अनूठा रिकॉर्ड भी है। उन्होंने 32 सालों में 11 चुनाव लड़े थे और नौ में जीत हासिल की थी। केंद्र की वीपी सिंह सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट में जगह मिली और श्रम कल्याण मंत्री बनाया गया था। उसके बाद एचडी देवगौड़ा और आईके गुजरात की सरकार में साल 1996 से 1998 तक वह रेल मंत्री रहे। मोदी सरकार में उन्हें उपभोक्ता मामलात मंत्री पद दिया गया था।
समाजवादी आंदोलन से की थी राजनीति की शुरुआत
छात्र राजनीति में सक्रिय रामविलास पासवान ने जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन से राजनीति की शुरुआत की थी। साल 1969 में पहली बार वह बिहार के विधानसभा चुनावों में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप निर्वाचित हुए। उसके बाद 1974 में जब लोक दल बना तो पासवान उससे जुड़ गए और महासचिव बनाए गए। साल 1975 के आपातकाल का विरोध करते हुए पासवान जेल भी गए थे। वह 1977 में पहली बार हाजीपुर सीट से लोकसभा पहुंचे थे।