दिल्ली में नहीं बनी बात तो अब हरियाणा में कांग्रेस से गठबंधन करने चले अरविंद केजरीवाल
कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन की पेशकश ठुकरा चुकी है। लेकिन अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को ऐसा ऑफर दिया है जिसे ठुकरा पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा। केजरीवाल ने ट्वीट कर कांग्रेस को हरियाणा में AAP से गठबंधन करने और साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी को हराने की पेशकश की है। उसके इस प्रस्ताव पर कांग्रेस का रुख अभी सामने नहीं आया है। बता दें कि हरियाणा में 10 लोकसभा सीटें हैं।
'गठबंधन हुआ तो सारी सीटें हारेगी भाजपा'
AAP संयोजक केजरीवाल ने बुधवार दोपहर ट्वीट करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने हरियाणा में गठबंधन का प्रस्ताव रखा। उन्होंने लिखा, "देश के लोग अमित शाह और मोदी जी की जोड़ी को हराना चाहते हैं। अगर हरियाणा में JJP, AAP और कांग्रेस साथ लड़ते हैं तो हरियाणा की दसों सीटों पर भाजपा हारेगी। राहुल गांधी जी इस पर विचार करें।" जननायक जनता पार्टी (JJP) हिसार से मौजूदा सांसद दुष्यंत चौटाला की पार्टी है।
गठबंधन पर विचार करें राहुल गांधी- केजरीवाल
शुरु से हरियाणा पर रही है AAP की नजर
बता दें कि राजनीति में अपनी शुरुआत के आगाज के बाद से ही AAP की नजर दिल्ली से लगे छोटे राज्य हरियाणा पर रही है। पार्टी राज्य में खास कामयाबी हासिल करने में तो अभी तक नाकाम रही है, लेकिन राज्य में उसके समर्थकों की संख्या अच्छी-खासी है, जो कांग्रेस और भाजपा के बीच नजदीकी चुनाव होने पर निर्णायक साबित हो सकती है। ऐसे में कांग्रेस केजरीवाल के इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर सकती है।
क्या हैं गठबंधन होने की संभावनाएं?
दिल्ली में भी कांग्रेस और AAP के गठबंधन में कांग्रेस आलाकमान से ज्यादा दिल्ली कांग्रेस ने अड़चनें पैदा की हैं। शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली दिल्ली कांग्रेस किसी भी कीमत पर AAP से गठबंधन नहीं करना चाहती थी। हरियाणा इकाई को इस तरीके की कोई समस्या होगी, इसकी संभावना कम है। दुष्यंत ने भी अभी नई पार्टी बनाई है और उनके पास कोई मजबूत आधार नहीं है, तो उन्हें भी गठबंधन में आने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
समान विरोधी के खिलाफ एक हो सकती हैं तीनों पार्टी
बता दें, हाल ही में हरियाणा के जींद विधानसभा उपचुनाव में AAP और JJP ने मिलकर अपना उम्मीदवार उतारा था। लेकिन उनके उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला दूसरे स्थान पर रहे और भाजपा के प्रत्याशी से हार गए। भाजपा ने पहली बार जींद विधानसभा सीट पर कब्जा किया था। वहीं कांग्रेस का प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा था। इस कारण से भी तीनों पार्टियों के अपने समान विरोधी के खिलाफ एकजुट होने की उम्मीद की जा सकती है।