पंजाब सरकार पर फिर हमलावर हुए नवजोत सिंह सिद्धू, इस बार दी भूख हड़ताल की चेतावनी
क्या है खबर?
पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी सरकार और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
सिद्धू ने गुरुवार सरकार पर फिर से हमला बोलते हुए ड्रग्स मामले और 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने पर भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी है।
उन्होंने कहा कि नशे की वजह से नौजवान पीढ़ी बर्बाद हो रही है और सरकार को इसके लिए कदम उठाने चाहिए।
बयान
ड्रग्स के खात्मे का वादा कर सत्ता में आई है पार्टी- सिद्धू
NDTV के अनुसार, एक रैली के दौरान सिद्धू ने कहा, "पार्टी (कांग्रेस) ड्रग्स के खात्मे का वादा कर सत्ता में आई है। यदि सरकार ने ड्रग रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया तो मैं भूख हड़ताल पर जाऊंगा।"
उन्होंने आगे कहा, "हमें यह दिखाने की जरूरत है कि पिछले मुख्यमंत्री इन रिपोर्टों पर क्यों चुप बैठे रहे। अब मौजूदा सरकार को इन रिपोर्टों का खुलासा करने की जरूरत है। कोर्ट ने पंजाब सरकार को रिपोर्ट सामने लाने से नहीं रोका है।"
हालात
"ड्रग्स के कारण बर्बाद हो रही है नौजवान पीढ़ी"
सिद्धू ने कहा, "पंजाब के लाखों नौजवान ड्रग्स से मर गए, लाखों ड्रग्स की सुई ले रहे हैं। पटियाला में एक बुजुर्ग ने कहा कि वह नशे की वजह से अपने पोते की हालत देखकर रोते हैं।"
उन्होंने कहा, "ड्रग्स के कारण नौजवान पीढ़ी बर्बाद हो रही है और लोग राज्य छोड़कर जा रहे हैं। अगर लोग पंजाब छोड़कर चले जाएंगे तो खजाने में पैसा कहां से आएगा और फिर यहां बड़े अस्पताल और लड़कियों के लिए कॉलेज कैसे बनेंगे?"
पृष्ठभूमि
अमरिंदर सिंह के बाद चन्नी सरकार से चल रही सिद्धू की अनबन
बता दें कि पूर्व में सिद्धू का कैप्टन अमरिंदर से विवाद चल रहा था। इसको लेकर अमरिंदर सिंह ने पार्टी आलाकमान के कहने पर 18 सितंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
उसके बाद कांग्रेस ने दलित कार्ड खेलते हुए चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया, लेकिन सरकारी पदों की नियुक्ति में उनकी भी सिद्धू से नहीं बनी।
इसको लेकर 28 सितंबर को सिद्धू ने भी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
परिणाम
सिद्धू ने सशर्त वापस लिया इस्तीफा
सिद्धू के इस्तीफा देने के बाद हालातों को समझते हुए कांग्रेस आलाकमान ने उसे स्वीकार नहीं किया। इसके साथ ही स्थानीय नेतृत्व से मामला सुलझाने को कहा था।
उसके बाद मुख्यमंत्री चन्नी ने उनसे मुलाकात कर पद पर बने रहने के लिए मनाने का प्रयास किया था।
5 नवंबर को सिद्धू ने इस्तीफा वापस लेने की घोषणा करते हुए नए एडवोकेट जनरल और DGP की नियुक्ति होने पर कार्यभार संभालने की शर्त रखी थी। जिसे सरकार ने पूरा कर दिया।
जानकारी
सिद्धू की शर्त पूरी होने के बाद भी कम नहीं हुआ तनाव
पंजाब सरकार के सिद्धू की शर्त मानने के बाद भी तनाव कम नहीं हुआ। गत दिनों करतारपुर कॉरिडोर के दर्शन करने गए प्रतिनिधि मंडल में शामिल नहीं किए जाने को लेकर भी सिद्धू ने नाराजगी जताई थी। उसके बाद से हालात स्पष्ट हो गए थे।
मांग
सिद्धू ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर की थी वादे पूरे करने की मांग
पिछले महीने सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर "प्राथमिकता वाले क्षेत्रों" और 2017 के चुनावों से पहले किए गए वादों पर एक 13-सूत्रीय एजेंडा सूचीबद्ध करते हुए कहा था कि राज्य सरकार को इन्हें आवश्यक रूप से पूरा करना चाहिए।
इन सुझावों में ड्रग्स के मामलों में दोषियों की गिरफ्तारी, कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण और केबल माफिया को नियंत्रित करने के लिए नया कानून बनाए जाने के वादे प्रमुख रूप से शामिल थे।
फायदा
कांग्रेस के आपसी कलह का विपक्ष उठा रहा फायदा
पंजाब कांग्रेस में चल रहे आपसी कलह का अब विपक्षी आम आदमी पार्टी (AAP) ने फायदा उठाना शुरू कर दिया है।
गत दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था, "सिद्धू ने कल मंच पर जो कहा मैं उनकी बहादुरी की सराहना करता हूं। मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि उन्होंने रेत माफियाओं को खत्म करते हुए रेत की कीमतें 5 रुपये प्रति किलो तक कम कर दी हैं। इसे सिद्धू तत्काल नकार दिया।