पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों के चुनावी नतीजे, कौन कहां कितने वोट से जीता
क्या है खबर?
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कई उम्मीदवारों की किस्मत बदल दी। किसी को कुर्सी खाली करनी पड़ी तो किसी के कुर्सी की जगह बदल गई।
चुनावी मैदान में उतरे बाकी उम्मीदवारों के साथ-साथ इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सियासी किस्मत भी दांव पर लगी थी।
इनमें से सिर्फ तेलंगाना के मुख्यमंत्री ही अपनी कुर्सी बचा पाए। बाकी चार राज्यों के मुख्यमंत्री अब विपक्ष में बैठेंगे।
आइये जानते हैं इन मुख्यमंत्रियों के चुनावी नतीजों का हाल।
शिवराज सिंह चौहान
शिवराज सिंह चौहान अपनी सीट जीते, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए
शिवराज सिंह चौहान 2005 से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज थे।
शिवराज 2005 से ही बुधनी सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं। राज्य के मुख्यमंत्री बनने से पहले शिवराज मध्य प्रदेश के विदिशा से लगातार चार बार सांसद रहे थे।
बुधनी से शिवराज सिंह को कांग्रेस नेता अरुण यादव ने चुनौती दी, लेकिन वे जीत नहीं पाए।
शिवराज ने यादव को 58,999 वोटों से हराया। हालांकि, शिवराज अपनी पार्टी को जीत नहीं दिला सके।
राजस्थान
वसुंधरा राजे चुनाव जीतीं, लेकिन राज्य हारीं
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे झालावार जिले की झालरापाटन सीट से उम्मीदवार थीं।
उनके सामने कांग्रेस ने भाजपा नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था।
वसुंधरा 2003 से इस सीट से चुनाव लड़ती आ रही हैं और अब तक हर चुनाव में जीत हासिल की है।
2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने मानवेंद्र सिंह को 34,980 वोटों से हराया।
मानवेंद्र ने चुनावों से पहले कांग्रेस का दामन थामा था।
रमन सिंह
15 साल बाद सत्ता से बाहर रमन सिंह
रमन सिंह लगातार 15 साल से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे। रमन सिंह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।
उन्होंने 2004 में राजनांदगांव की डोंगरगांव सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता।
2008 से वे राजनांदगांव सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार चुनाव में उनके सामने कांग्रेस उम्मीदवार और अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला की चुनौती थी, लेकिन रमन सिंह आसानी से चुनाव जीत गए।
उन्होंने करुणा को 16,933 वोटों से हराया।
KCR
अपनी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब हुए चंद्रशेखर राव
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) अपनी सत्ता बचाने में सफल हुए और लगातार दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे।
KCR गजवेल सीट से उम्मीदवार थे। उनके सामने कांग्रेस के उम्मीदवार वीपी रेड्डी और भाजपा उम्मीदवार अकुला विजय की चुनौती थी।
KCR ने अपने विरोधियों को मात देते हुए आसानी से चुनाव जीत लिया। उन्हें दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के उम्मीदवार से 58,290 वोट ज्यादा मिले।
बता दें, KCR संयुक्त आंध्र प्रदेश में मंत्री भी रह चुके हैं।
मिजोरम
चुनाव भी नहीं जीत सके लाल थनहवला
मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। थनहवला 2008 से राज्य के मुख्यमंत्री थे।
इस बार उनके सामने पार्टी को लगातार तीसरी बार सत्ता दिलाने की चुनौती थी, लेकिन वे खुद की सीट भी नहीं बचा पाए।
थनहवला दक्षिण चंपई और सेरछिप सीट से चुनावी मैदान में थे और दोनों ही सीट हार गए।
राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है।