विवादों के बीच मध्यप्रदेश सरकार का नया फैसला- पुलिस बैंड के साथ गाया जाएगा वंदे मातरम
मध्यप्रदेश की राजनीति में वंदे मातरम के मुद्दे पर उबाल आया हुआ है। राज्य सरकार ने पहले एक आदेश जारी कर हर महीने सचिवालय में वंदे मातरम गाने की अनिवायर्ता पर रोक लगाई थी। आदेश जारी होते ही विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया। बढ़ते विवाद के बाद सरकार ने यू-टर्न लेते हुए अपने पहले फैसले को पलट दिया है। सरकार ने अब इन नियम को नए रूप में लागू करने का फैसला किया है।
पुलिस बैंड के साथ होगा गायन
सरकार के नए फैसले के अनुसार, अब भोपाल में पुलिस बैंड और आम लोगों की सहभागिता के साथ वंदेमातरम् का गायन होगा। हर महीने के पहले कामकाजी दिन पर कर्मचारी सुबह 10:45 बजे पुलिस बैंड राष्ट्र भावना जागृत करने वाले धुन बजाते हुए शौर्य स्मारक से वल्लभ भवन तक मार्च करेंगे। अभी तक वंदे मातरम का सामूहिक गान सचिवालय परिसर में मंत्री की मौजूदगी अथवा मुख्य सचिव की उपस्थिति में होता आया है।
2005 से चली आ रही थी परंपरा
मध्यप्रदेश सचिवालय में महीने के पहले कामकाजी दिन पर वंदे मातरम गाने की परंपरा 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने शुरू की थी। पिछले 13 सालों से हर महीने राष्ट्रगीत गाया जाता था, लेकिन नई सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि फिलहाल वंदे मातरम गाने की अनिवार्यता को बंद किया गया है। यह फैसला बिना किसी एजेंडे के तहत लिया गया है। उनके इस फैसले पर विवाद शुरू हो गया था।
भाजपा ने सरकार को घेरा
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, 'कांग्रेस यह भूल गई है कि सरकारें आती हैं जाती हैं लेकिन देश और देशभक्ति से ऊपर कुछ नहीं है। मैं मांग करता हूं कि वंदे मातरम का गाना हमेशा की तरह हर कैबिनेट की मीटिंग से पहले और हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में हो।'