गतिरोध के बीच 'मॉक पार्लियामेंट' लगाने की तैयारी में विपक्ष, कल बैठक में होगा फैसला

पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानूनों पर चर्चा को लेकर सरकार और विपक्ष में लगातार गतिरोध बना हुआ है। इसके चलते मानसून सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही बुरी तरह प्रभावित हुई है। सरकार के रवैये को देखते हुए विपक्षी पार्टियां सदन के बाहर संसद लगाने की तैयारी कर रही हैं। इस संबंध में फैसला लेने के लिए मंगलवार को 14 विपक्षी पार्टियों के नेता बैठक करेंगे। इसमें अगर सहमति बनती है तो विपक्ष 'मॉक पार्लियामेंट' आयोजित कर सकता है।
पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर बना हुआ है। उसकी मांग है कि सरकार मानसून सत्र में पेगासस जासूसी कांड पर चर्चा करे, लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं है। इस मांग को लेकर विपक्ष सदन नहीं चलने दे रहा है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। इसके विरोध के लिए विपक्ष नए-नए तरीके निकाल रहा है।
सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को संसद में विपक्ष के नेता मिलकर मानसून सत्र के लिए रणनीति बनाएंगे। राहुल गांधी भी इस बैठक में शामिल रहेंगे। कई पार्टियों का मत है कि उन्हें मॉक पार्लियामेंट आयोजित करना चाहिए। बैठक में इस पर फैसला लिया जाएगा।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पेगासस जासूसी कांड को लेकर कहा कि इसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। इजरायल, फ्रांस और हंगरी की सरकारें इसकी जांच कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी डर क्यों रहे हैं? उन्होंने कहा, "अगर हम इस पर चर्चा चाहते हैं तो हमारा क्या दोष है? हम पहले दिन से ही किसानों के मुद्दे, कोरोना महामारी, महंगाई पर चर्चा चाहते हैं। हम जासूसी कांड पर भी चर्चा करना चाहते हैं।"
विपक्षी सांसदों के हंगामे के चलते आज फिर लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही बाधित हुई। हंगामे और शोर-शराबे को देखते हुए दोनों सदनों की कार्यवाही को 2-2 बजे तक स्थगित किया गया था। लोकसभा सांसदों को नसीहत देते हुए स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि संसद न चलने से देश की जनता के करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं। सदन जनता की समस्याएं और अभाव रखने के लिए हैं। आपका आचरण सदन की गरिमा और परंपराओं के उपयुक्त नहीं है।
गतिरोध को देखते हुए सरकार मानसून सत्र की अवधि को कम कर सकती है। बता दें कि 19 जुलाई को शुरू हुए सत्र की अवधि 13 अगस्त तक है। एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार लोगों से जुड़े हर मामले पर चर्चा को तैयार है, लेकिन विपक्ष ऐसा नहीं चाहता। यह पैसे और समय की बर्बादी है। अगर सत्र को जल्दी खत्म किया जाता है तो कई इलाकों में कोरोना के बढ़ते मामले भी इसकी एक वजह होंगे।