केन्द्रीय विद्यालयों में नहीं बढ़ाई जाएंगी सीटों की संख्या- शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय विद्यालयों में सीटों की संख्या में बढ़ोतरी करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में कहा, 'केंद्रीय विद्यालयों में मौजूदा सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।'' बता दें कि केंद्रीय विद्यालय की स्थापना 15 दिसंबर, 1963 में हुई और यह तब से केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से अनुबन्धित है।
पिछले पांच सालों में खुले 122 नए केंद्रीय विद्यालय- प्रधान
केंद्रीय विद्यालय से ही संबंधित एक अन्य सवाल पर शिक्षा मंत्री प्रधान ने जवाब दिया कि पिछले पांच सालों में देशभर में 122 नए केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना की गई है। यह एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय मुख्य रूप से रक्षा और अर्ध-सैन्य कर्मियों, केंद्रीय स्वायत्त निकायों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) और केंद्रीय सहित हस्तांतरणीय केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने के लिए खोले जाते हैं।
CBSE से संबद्ध हैं सभी केंद्रीय विद्यालय
केन्द्रीय विद्यालय संगठन (KVS) पूर्व में केंद्रीय विद्यालयों की श्रृंखला भारत में केंद्र सरकार के स्कूलों की एक प्रणाली है जो भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा अधिकृत है। केंद्रीय विद्यालय दुनिया में स्कूलों की सबसे बड़ी श्रृंखलाओं में से एक है। KVS का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। देश भर में फैले अपने 25 क्षेत्रीय कार्यालयों (RO) की सहायता से भारत और विदेशों में 1,200 से अधिक केन्द्रीय विद्यालयों का प्रबंधन किया जाता है।
संसदीय समिति ने विदेशों में अधिक मात्रा में केंद्रीय विद्यालय खोलने का दिया सुझाव
भाजपा सांसद विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने बजट सत्र के दौरान संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इस समिति ने सुझाव दिया कि KVS को और अधिक छात्रों को समायोजित करने के लिए विदेशों में भी अपनी शाखाएं खोलनी चाहिए। संसदीय समिति ने कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई भारतीय बसे हुए हैं, इसलिए इन देशों में केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए मौजूदा स्थिति का अध्ययन करना चाहिए।
न्यूजबाइट्स प्लस (बोनस)
विदेश में केन्द्रीय विद्यालय की शाखाएं मॉस्को, तेहरान और काठमांडू में स्थित हैं। इन विद्यालयों में भारतीय दूतावासों के कर्मचारियों तथा प्रवासी भारतीयों के बच्चे पढ़ते हैं। यह विद्यालय वहां के दूतावास में हैं और इनका खर्च विदेश मंत्रालय द्वारा वहन किया जाता है।