'विधेयक' से लेकर 'शून्य काल' तक, संसद में सुनाई देने वाले शब्दों का मतलब क्या है?
संसद को 'लोकतंत्र का मंदिर' कहा जाता है और ये लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक अभिन्न अंग होता है। किसी भी जागरूक नागरिक के लिए संसद में क्या हो रहा है, ये जानना बेहद जरूरी होता है और इसके लिए जरूरी है कि उसे सदनों में बार-बार इस्तेमाल होने वाले शब्दों का अर्थ पता हो। आइए आपको भारतीय संसद में इस्तेमाल होने वाले ऐसे ही कुछ चर्चित शब्दों का अर्थ बताते हैं।
विधेयक का क्या मतलब होता है?
विधेयक किसी भी कानून का मसौदा होता है जिसे मंजूरी के लिए दोनों सदनों के सामने पेश किया जाता है। इसमें प्रस्तावित कानून के सभी प्रावधान लिखे होते हैं। जरूरी बदलावों और दोनों सदनों से मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये कानून बन जाता है। मंत्री द्वारा पेश विधेयकों को सरकारी विधेयक और अन्य सांसदों द्वारा पेश विधेयकों को प्राइवेट मेंबर बिल (विधेयक) कहा जाता है।
धन विधेयक और वित्तीय विधेयक क्या होते हैं?
धन विधेयक में टैक्स, उधारी, भुगतान और योजनाओं पर खर्च आदि पैसों से संबंधित मुद्दों पर बात की जाती है। वित्तीय विधेयक में पूरे साल में सरकार द्वारा किए जाने वाले खर्चों का प्रस्ताव होता है। धन विधेयक एक तरह का वित्तीय विधेयक ही है।
स्थायी समिति और तदर्थ समिति क्या होती हैं?
संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं- स्थायी समिति और एड-हॉक (तदर्थ) समिति। स्थायी समिति एक नियमित समिति होती है जिसका गठन संविधान और अधिनियमों के अंतर्गत होता है। इन समितियों का कार्य लगातार चलता रहता है। इसके विपरीत तदर्थ समितियों का गठन किसी विशेष कार्य के लिए किया जाता है और कार्य खत्म होने और रिपोर्ट जमा करने के बाद ये खत्म हो जाती हैं। विधेयकों पर बनने वाली संयुक्त समितियां एक प्रकार की तदर्थ समितियां होती हैं।
कोरम और प्रस्ताव क्या होता है?
किसी भी मुद्दे पर बहस या प्रस्ताव पारित करने के लिए सदन या समिति में कम से कम जितने सांसदों की उपस्थिति अनिवार्य होती है, उसे कोरम कहा जाता है। संविधान के अनुच्छेद 100(3) के अनुसार कोरम के लिए सदन में न्यूनतम 10 प्रतिशत सांसद उपस्थित होने चाहिए। किसी महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा के लिए पेश किए जाने प्रस्ताव को मोसन (प्रस्ताव) कहा जाता है। अगर ये पारित होता है तो इसे सदन का फैसला या विचार माना जाता है।
तारांकित प्रश्न और आधे घंटे की बहस क्या होते हैं?
हर सांसद को सरकार या मंत्रियों से सवाल पूछने का अधिकार होता है। जब जनता से संबंधित किसी तत्कालिक मुद्दे पर मंत्री से मौखिक जवाब मांगा जाता है तो इसे तारांकित प्रश्न कहते हैं। एक दिन में ऐसे अधिकतम 20 सवाल पूछे जा सकते हैं। जब कोई सांसद मंत्री द्वार दिए गए जवाब से संतुष्ट नहीं होता तो वो मुद्दे पर 'आधे घंटे की बहस' का प्रस्ताव रख सकता है जिसे सदन का अध्यक्ष या सभापति मंजूरी देता है।
प्रश्न काल और शून्य काल क्या होते हैं?
किसी भी सदन की कार्यवाही का जो पहला घंटा होता है, उसे प्रश्न काल कहा जाता है और इसमें सांसद सरकार से अपने सवाल पूछते हैं। तारांकित सवालों के जवाब मौखिक दिए जाते हैं, वहीं बाकी सवालों के जवाब लिखित दिए जाते हैं। लोकसभा में सुबह 11-12 बजे का समय प्रश्न काल का होता है। प्रश्न काल के ठीक बाद शून्य काल आता है और इसमें कोई भी मुद्दा उठाने के लिए पहले उसी सुबह नोटिस देना होता है।
अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है?
जब किसी सांसद को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं रहा है तो वह अविश्वास प्रस्ताव पेश करता है और सरकार से अपना बहुमत साबित करने के लिए कहता है। अविश्वास प्रस्ताव को केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है और इस पर चर्चा के लिए कम से कम 50 प्रतिशत सांसदों का इसका समर्थन करना अनिवार्य है। अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है तो सरकार गिर जाती है।