बीते पांच सालों में कैसा रहा दिल्ली विधानसभा में विधायकों का प्रदर्शन?
क्या है खबर?
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियां अपने चरम पर पहुंच चुकी है। चुनाव आयोग चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है और राजनीतिक पार्टियां सत्ता हासिल करने के लिए अपना पूरा दमखम लगाए हुए हैं।
राजधानी की जनता भी नया प्रतिनिधि चुनने के लिए विचार-विमर्श करने में लगी हुई है।
ऐसे में जनता के लिए जानना जरूरी है कि पांच सालों के कार्यकाल में विधायकों का विधानसभा में कैसा प्रदर्शन रहा और उन्होंने जनता की भलाई के लिए क्या किया?
प्रचंड बहुमत
2015 में AAP को मिला था प्रचंड बहुमत
वर्ष 2015 में दिल्ली की छठी विधानसभा के लिए हुए चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) को जनता ने दिल खोलकर समर्थन दिया था। यही कारण था कि चुनाव में AAP ने प्रत्याशियों ने 70 में से कुल 67 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था।
इसके उलट भाजपा को महज 3 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस और अन्य दल अपना खाता भी नहीं खोल पाए थे।
इसके बाद राजधानी की जनता की केजरीवाल सरकार से उम्मीदें बढ़ गई थीं।
बिल
विधानसभा में पांच साल में पास हुए 44 बिल
छठी विधानसभा के पूरे पांच साल के कार्यकाल में विधायकों ने कुल 44 बिल पाए कराए।
सरकार ने 23 विधेयक बिल और संशोधन बिल तो सत्ता संभालते ही पास कर दिए, जबकि शेष चार सालों में महज 21 बिल और संशोधन बिल पास कराए।
इतना ही नहीं कुल 44 विधेयक बिल में से 34 तो एक ही दिन में पास कर दिए गए थे, जबकि 10 बिलों को पास कराने में दो से 11 दिनों का समय लगा।
प्रमुख बिल
दिल्ली विधानसभा में पास हुए प्रमुख विधेयक बिल
ADR की रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली की छठी विधानसभा में मुख्य रूप से जनलोकपाल विधेयक, आधे दाम पर बिजली, मुफ्त पानी, मोहल्ला क्लीनिक, अवैध कॉलोनियों का नियमितीकरण, विधायकों की वेतनवृद्धि, सिटीजन चार्टर बिल, दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बिल, न्यूनतम वेतन में संशोधन कानून, अतिथि शिक्षकों को नियमितीकरण, उद्यमिता यूनिवर्सिटी बिल, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार, विनियोग, दिल्ली स्कूल शिक्षा, बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी और नेताजी सुभाषचंद बोस यूनिवर्सिटी बिल पास किए गए हैं।
स्थगन
34 बार में कुल 13 घंटे स्थगित रही विधानसभा
ADR की रिपोर्ट की माने तो दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल पूरी तरह से शांत नहीं रहा है। विधानसभा सत्रों में विधायकों ने सरकार की ओर से पेश किए गए बिल और विपक्ष के प्रस्तावों के खिलाफ जमकर हंगामा किया।
यही कारण रहा कि 101 दिन चली विधानसभा को हंगामे के कारण 34 बार में 13 घंटे एक मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा। विधानसभा वर्ष 2018 में सबसे ज्यादा 12 बार में 4 घंटे 35 मिनट तक स्थगित रही।
जानकारी
किस साल कितने सत्र
दिल्ली विधानसभा 2015 में सात सत्र में 26 दिन, 2016 में छह सत्र में 15 दिन, 2017 में सात सत्र में 21 दिन, 2018 में पांच सत्र में 30 दिन और 2019 में दो सत्र में कुल 9 दिन चली है।
प्रश्न
पांच साल में विधायकों ने विधानसभा में पूंछे 15,492 प्रशन
गत पांचा सालों में कुल 101 दिन चली विधानसभा में विधायकों ने कुल 15,492 प्रश्न पूछे। प्रश्न पूछने में भाजपा विधायक विजेन्द्र गुप्ता सबसे आगे रहे। उन्होंने सरकार से कुल 1,023 प्रश्न पूछे थे।
इनमें से 205 प्रश्न मौखिक व 818 लिखित थे। इसी प्रकार तरह AAP के विधायक सोमनाथ भारती ने 958, भाजपा के जगदीश प्रधान ने 788, AAP के पंकज पुष्कर ने 678, AAP के मोहिंदर गोयल ने 649 व भाजपा के ओमप्रकाश शर्मा ने 664 प्रश्न पूछे।
फिसड़डी
इन विधायकों ने नहीं पूछा एक भी प्रश्न
विधानसभा में प्रश्न पूछने के मामले में अधिकतर विधायकों आगे रहे, वहीं कुछ विधायक बिल्कुल फिसड्डी रहे। उन्होंने पूरे पांच साल में एक भी प्रश्न नहीं पूछा।
इनमें AAP के अमानतुल्लाह खान, जमील सिंह, कैलाश गहलोत, कपिल मिश्रा, सोम दत्त, इमरान हुसैन, असीम अहमद खान और रामनिवास गोयल प्रमुख हैं।
हालांकि इनमें से कुछ विधायक AAP से बागी हो गए थे। ऐसे में उन्होंने विधानसभा में कोई प्रश्न नहीं पूछा।
उपस्थिति
विधानसभा में औसतन 70 प्रतिशत रही विधायकों की उपस्थिति
दिल्ली विधासभा के सभी सत्रों में विधायकों की भागीदारी की बात की जाए तो यह औसतन 70 प्रतिशत रही है।
सबसे ज्यादा उपस्थिति भाजपा के विजेन्द्र गुप्ता, AAP के जगदीप सिंह, एसके बग्गा और राजेन्द्रपाल गौतम की रही है। विधानसभा में इनकी उपस्थिति 100 प्रतिशत रही है।
शेष विधायकों की उपस्थिति 99 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक रही है, जबकि AAP के आठ और भाजपा के एक विधायक की उपस्थिति 70 प्रतिशत से कम रही है।