#NewsBytesExplainer: जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव, विधानसभा सीटों समेत बदल चुकी हैं ये चीजें
जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। 3 चरणों में होने वाले चुनाव में जनता को 10 साल बाद चुनी हुई सरकार मिलेगी। नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे। सीटों का परिसीमन होने और अनुच्छेद 370 हटने के बाद ये पहले चुनाव भी हैं। ऐसे में सीटों की संख्या बढ़ने के साथ ही आरक्षण में भी बदलाव हुई हैं। आइए जानते हैं जम्मू-कश्मीर में क्या कुछ बदला है।
विधानसभा में हुआ 3 सीटों का इजाफा
पहले जम्मू-कश्मीर में 87 विधानसभा सीटें हुआ करती थी, लेकिन परिसीमन के बाद सीटों की संख्या 90 हो गई है। पहले जम्मू में 37 और कश्मीर में 46 सीटें थीं, जो अब बढ़कर क्रमश: 43 और 47 हो गई हैं। चुनावी लिहाज से देखा जाए तो मुस्लिम बहुल कश्मीर में केवल एक जबकि, हिंदू बहुल जम्मू में 6 सीटें बढ़ी हैं। चुनावों में इसका असर ये होगा कि हिंदू बहुल इलाकों में भाजपा को परिसीमन का फायदा मिल सकता है।
उपराज्यपाल की बढ़ी ताकत
अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। पहला जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख। जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा भी है। हालांकि, विधानसभा होने के बावजूद सरकार के पास पहले जैसी ताकत नहीं रहेगी। अब उपराज्यपाल के पास पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि संबंधित मामलों में कई अहम शक्तियां हैं। विधानसभा के अधिकार सीमित कर दिए गए हैं और ज्यादातर मामलों पर उसे उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी।
पहली बार मतदान करेंगे पाकिस्तानी शरणार्थी और अन्य समुदाय
चुनावों में पहली बार पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थी और वाल्मीकि समुदाय मतदान करेगा। पाकिस्तानी शरणार्थी समुदाय के लोग 1947 के बाद से जम्मू-कश्मीर में बसे हुए हैं, लेकिन इन्हें विधानसभा, नगर पालिका और पंचायत चुनावों में मतदान का अधिकार नहीं था। ये केवल लोकसभा चुनावों में वोट डाल सकते थे। इस समाज के करीब 25,000 परिवार जम्मू-कश्मीर में रहते हैं। इनमें से डेढ़ लाख लोग पहली बार मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
3 सीटों पर उपराज्यपाल नामित करेंगे उम्मीदवार
उपराज्यपाल विधानसभा के लिए 3 सदस्यों को नामित कर सकेंगे। इनमें से 2 कश्मीरी पंडित और एक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) से विस्थापित व्यक्ति होगा। नामित होने वाले 2 कश्मीरी पंडितों में से एक महिला होगी। यानी विधानसभा में 93 सीटें होंगी, लेकिन मतदान 90 के लिए ही होगा। इसके अलावा अनुसूचित जाति (SC) के लिए 7 और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 9 सीटों समेत 16 सीटें आरक्षित रखी गई हैं।
मुख्यधारा में आ रही अलगाववादी पार्टियां
चुनावों में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम अलगाववादी संगठनों का लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लेना है। दशकों तक चुनावों का बहिष्कार करने वाली जमात-ए-इस्लामी ने इस बार राजनीति की मुख्यधारा में प्रवेश करने का फैसला किया है। पार्टी पर प्रतिबंध लगा हुआ है, इस कारण ये अपने उम्मीदवारों को निर्दलीय के रूप में मैदान में उतार रहे हैं। सलीम गिलानी और सरजन बरकती जैसे पूर्व अलगाववादी नेता भी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं।
पिछले चुनावों के नतीजे
2014 के विधानसभा चुनाव में 65.52 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) 28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि भाजपा ने 25 सीटों पर जीत हासिल की थी। नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15, कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं और 7 पर अन्य पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, जिसके चलते गठबंधन सरकार बनी थी।
जम्मू-कश्मीर में कब होगा मतदान?
जम्मू-कश्मीर में 3 चरणों में विधानसभा चुनाव होना है। पहले चरण में 18 सिंतबर को मतदान होगा। दूसरे चरण में 25 सितंबर और तीसरे चरण में 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी।