
#NewsBytesExplainer: बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर क्या है विवाद, चुनाव आयोग पर क्यों उठे सवाल?
क्या है खबर?
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। इससे पहले चुनाव आयोग ने मतदाता गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू की है। इसके जरिए मतदाता सूची को संशोधित किया जा रहा है। आयोग ने मतदाताओं से कई दस्तावेज मांगे हैं, जिनके आधार पर तय किया जाएगा कि उनका नाम मतदाता सूची में रहेगा या नहीं। इस प्रक्रिया पर सवाल भी उठ रहे हैं और राजनीति भी खूब हो रही है। आइए पूरा मामला समझते हैं।
प्रक्रिया
क्या है SIR?
24 जून को चुनाव आयोग ने बिहार में SIR की घोषणा की थी। यह काम 25 जून से 26 जुलाई तक होना है। आयोग ने मतदाताओं से जन्म के साल के आधार पर अलग-अलग दस्तावेज जमा करने को कहा है। अगर ऐसा नहीं किया जाएगा, तो मतदाता का नाम सूची से हटाया जा सकता है। आयोग का कहना है कि 2003 के बाद से मतदाता सूची की समीक्षा नहीं हुई है, इसलिए ऐसा किया जा रहा है।
श्रेणियां
आयोग ने मतदाताओं की कितनी श्रेणियां बनाई हैं?
आयोग ने 3 श्रेणियां बनाई हैं। पहली- जिनका जन्म 1 जुलाई, 1987 से पहले हुआ है, उन्हें केवल खुद का दस्तावेज पेश करना होगा। दूसरी- जिनका जन्म 1 जुलाई, 1987 से 2 दिसंबर, 2004 के बीच हुआ है, उन्हें अपना और किसी एक अभिभावक का दस्तावेज पेश करना होगा। तीसरी- 2 दिसंबर, 2004 के बाद जन्म लेने वाले मतदाताओं को अपना और अपने दोनों अभिभावकों का दस्तावेज पेश करना होगा।
दस्तावेज
मतदाताओं से कौन-कौनसे दस्तावेज मांगे गए हैं?
चुनाव आयोग ने 11 दस्तावेज मतदाताओं से मांगे हैं। जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, हाईस्कूल रिजल्ट, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, वन अधिकार प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, NRC में नाम, परिवार रजिस्टर, जमीन या आवास आवंटन पत्र, केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारी या पेंशनर का कोई परिचय पत्र, सरकार या बैंक या डाक घर या LIC या सरकारी कंपनी का परिचय पत्र या प्रमाण पत्र। हालांकि, आधार कार्ड, राशन कार्ड, जॉब कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस मान्य नहीं हैं।
छूट
इन लोगों को नहीं जमा करने होंगे कोई भी दस्तावेज
आयोग ने कहा कि जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में हैं, उन्हें कोई भी दस्तावेज जमा नहीं करना होंगे। ऐसे लोगों को केवल 2003 की सूची में से अपने विवरण को सत्यापित करना होगा और भरा हुआ गणना फॉर्म जमा करना होगा। आयोग ने ये भी कहा कि जिसका नाम 2003 की सूची में नहीं है, वो अपने माता या पिता के लिए कोई अन्य दस्तावेज देने के बजाय निर्वाचक नामावली के संबंधित अंश का उपयोग कर सकता है।
सवाल
चुनाव आयोग पर क्यों उठ रहे सवाल?
24 जून को पहली सूचना देने के बाद इस संबंध में आयोग कई बार अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी कर चुका है। दस्तावेजों के संबंध में बार-बार नियम बदले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने इस पर कहा, "अभी ऐसे और आदेश या बदलाव होंगे। आयोग इसे बदलाव नहीं मान रहा, बल्कि स्पष्टीकरण कह रहा है। चुनाव आयोग जो दस्तावेजों की शर्तें लगा रहा है उसे पूरी करना असंभव है। आयोग आदेश वापस नहीं ले सकता, इसलिए बदलाव होते रहेंगे।"
राजनीति
फैसले पर विपक्ष ने भी उठाए सवाल
फैसले को लेकर विपक्षी गठबंधन INDIA की 10 पार्टियों ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से मुलाकात की है। इन पार्टियों का कहना है कि ये गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं से वोट डालने की हक छीनने की साजिश है। तेजस्वी यादव ने इसे लोकतंत्र की नींव पर हमला बताते हुए भ्रम, अनिश्चितता और दमन से भरा हुआ कदम बताया। कांग्रेस, असदुद्दीन ओवैसी समेत भाजपा के कुछ सहयोगियों ने भी आपत्ति जताई है