बिहार: खुद को "चोरों का सरदार" बताने वाले कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने दिया इस्तीफा
कुछ दिन पहले अपनी ही सरकार की आलोचना करते हुए खुद को "चोरों का सरदार" बताने वाले बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपना इस्तीफा सौंपा है, हालांकि अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बिहार प्रमुख और सुधाकर के पिता जगदानंद सिंह ने बयान जारी कर ये जानकारी दी। अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया।
कृषि विभाग के कामकाज और योजनाओं से खुश नहीं थे सुधाकर सिंह
बता दें कि सुधाकर सिंह कृषि विभाग के कामकाज और योजनाओं से खुश नहीं थे और कई बार सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके थे। वह कृषि उत्पाद मार्केटिंग समिति (APMC) अधिनियम और मंडी व्यवस्था को वापस लाना चाहते थे, जिन्हें 2006 में नीतीश कुमार और भाजपा के गठबंधन की सरकार ने खत्म कर दिया था। इसे किसान विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा था कि वह महागठबंधन की सरकार बनने के बाद भाजपा का एजेंडा नहीं चलने देंगे।
सिंह ने कृषि रोडमैप पर भी उठाए थे सवाल
सिंह ने कृषि रोडमैप पर भी सवाल उठाए थे और कहा था कि कृषि मंत्री के तौर पर वह तीसरे कृषि रोडमैप को 2022 से आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दे सकते। उन्होंने कहा था कि सरकार के खुद के आंकड़े रोडमैप की असफलता को दर्शाते हैं और बिना सुधार किए इन्हें जारी रखने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा था कि अगर सरकार रोडमैप को आगे बढ़ाना चाहती है तो किसी अन्य विभाग को जिम्मेदारी दे सकती है।
भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए सिंह ने खुद को बताया था "चोरों का सरदार"
सिंह ने अपने विभाग में भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया था और खुद को "चोरों का सरदार" तक बोल डाला था। पिछले महीने कैमूर जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, "कोई ऐसा हमारे विभाग में नहीं है जो चोरी नहीं करता है। हम चोरों के सरदार हैं। जब चोरी हो रही है तो हम उसके सरदार ही तो हुए।" उन्होंने बीज निगम पर 150-200 करोड़ रुपये खाने का आरोप लगाया था।
सिंह पर भी हैं भ्रष्टाचार के कई आरोप, इस्तीफा मांग चुकी है भाजपा
कैमूर के रामगढ़ से पहली बार के विधायक सुधाकर सिंह खुद भी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हुए हैं। भाजपा ने उन पर राज्य खाद्य निगम में 5.31 करोड़ रुपये के चावल के गबन का आरोप लगाया था और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उन्हें बर्खास्त करने की मांग की थी। इसके अलावा 2013 का एक मामला भी प्रकाश में आया है जिसमें उन पर सरकार के कई करोड़ रुपये न लौटाने का आरोप है।