सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कर्नाटक के बागी विधायक, कल होगी सुनवाई
कर्नाटक की राजनीति में आया भूचाल सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। कांग्रेस के बागी विधायकों ने विधानसभा स्पीकर केआर रमेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पिछले हफ्ते इस्तीफा देने वाले इन विधायकों ने स्पीकर पर संवैधानिक कर्तव्यों से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि वो उनके इस्तीफे स्वीकार करने में जानबूझ कर देरी कर रहे हैं। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
गठबंधन के 13 विधायकों के इस्तीफे से शुरू हुआ संकट
बता दें कि शनिवार को कांग्रेस-JD(S) के 13 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद गठबंधन की सरकार पर संकट खड़ा हो गया था। इसके बाद सोमवार को 2 निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से समर्थन वापस लेकर संकट को और बढ़ा दिया। अब अगर स्पीकर सभी 13 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लेते हैं तो सरकार का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या 104 रह जाएगी और वह बहुमत खो देगी।
स्पीकर ने नहीं स्वीकार किए इस्तीफे
विधानसभा स्पीकर ने बागी विधायकों में आठ के इस्तीफे को सही नहीं माना है। उन्होंने कहा था कि इन 13 में से आठ विधायकों के इस्तीफे तय प्रारूप में नहीं है इसलिए इन्हें कानूनी तौर पर सही नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा, "मैंने इस बारे में राज्यपाल को जानकारी दे दी है। किसी भी बागी विधायक ने मुझसे मुलाकात नहीं की। मैंने राज्यपाल को भरोसा दिलाया है कि मैं संविधान के तहत काम करूंगा।"
बागी विधायकों से मिलने मुंबई पहुंचे कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार
कर्नाटक के बागी विधायक फिलहाल के मुंबई के एक होटल में रुके हुए हैं। उन्होंने मंगलवार रात को मुंबई पुलिस को पत्र लिखकर डीके शिवकुमार को होटल में न आने देने की मांग की थी। इसके बाद पुलिस ने होटल के बाहर सुरक्षा कड़ी करते हुए धारा 144 लागू कर दी है। बुधवार सुबह विधायकों से मिलने पहुंचे शिवकुमार को पुलिस ने होटल के बाहर रोक लिया। शिवकुमार ने कहा कि वह बागी विधायकों से मिले बिना वापस नहीं जाएंगे।
धरने पर बैठे भाजपा नेता
राज्य में कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) गठबंधन सरकार पर छाए संकट के बादलों के बीच भाजपा ने राजनीतिक दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा समेत पार्टी के बड़े नेता विधानसभा में धरने पर बैठे हैं।
सिद्धारमैया ने बागी विधायकों को दी चेतावनी
स्पीकर के इस फैसले ने कांग्रेस-JD(S) गठबंधन को अपनी सरकार बचाने के लिए अतिरिक्त समय दे दिया है और वह कुछ समय के लिए राहत की सांस ले सकते हैं। वहीं मंगलवार को ही कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धारमैया ने बागी विधायकों को चेतावनी देते हुए इस्तीफा वापस लेने या सदस्यता रद्द होने के लिए तैयार रहने को कहा। कांग्रेस को कुछ विधायकों के वापस आने की उम्मीद है। उन्होंने भाजपा पर सरकार को गिराने का आरोप लगाया था।
इस्तीफे मंजूर हुए तो गिर सकती है गठबंधन सरकार
13 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा का संख्याबल गिरकर 211 हो जाएगा और बहुमत का आंकड़ा 106 हो होगा। भाजपा के पास राज्य में 105 सीटें हैं, ऐसे में अगर गठबंधन की सरकार गिरती है तो राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उसे सरकार बनाने का न्यौता दे सकते हैं। इसके बाद दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन भाजपा सरकार बना सकती है, जिनमें से एक उसे पहले ही समर्थन दे चुका है।