मेघालयः मजूदरों के बचाव कार्य से सुप्रीम कोर्ट असंतुष्ट, राज्य सरकार को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने आज मेघालय में कोयला खदान में फंसे मजदूरों के मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मजदूरों के बचाव अभियान को लेकर राज्य सरकार के प्रयासों पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए कहा कि बचाव कार्य में ढिलाई बरती जा रही है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब गुफा से पानी निकालने के लिए थाईलैंड में उच्च क्षमता वाले पंप भेजे जा सकते हैं तो मेघालय में क्यों नहीं भेजे गए।
मजदूरों को अब तक क्यों नहीं बचाया गया?
जस्टिस एके सीकरी और अब्दुल नजीर की बेंच ने राज्य सरकार से पूछा कि अब तक मजदूरों को क्यों नहीं बचाया गया है। कोर्ट ने मेघालय सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कोर्ट बचाव अभियान से संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने सरकार से कल तक राहत और बचाव कार्य की विस्तृत जानकारी मांगी है। बेंच ने कहा कि खदान में फंसे लोगों के लिए एक-एक सेकंड कीमती है और अगर जरूरत पड़े तो सेना की मदद ली जाए।
मजदूरों की कुशलता की प्रार्थना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चाहे मजदूर जीवित हैं या नहीं, उनमें से कुछ जीवित हैं और कुछ नहीं, जो भी है उन्हें बाहर निकालना होगा। हम भगवान से उनकी कुशलता का प्रार्थना करते हैं।
सरकार ने कहा- पर्याप्त कदम उठाए
राज्य सरकार के वकील ने अपने जवाब में बताया कि मजदूरों को बचाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं और उन्हें बचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। सरकार ने कहा कि 14 दिसंबर से NDRF, कोल इंडिया और नौसेना के जवान मजदूरों को बचाने के लिए लगे हुए हैं। साथ ही सरकार ने कोर्ट से कहा कि NDRF की टीम बचाव कार्य में लगी हुई है इसलिए सेना की मदद नहीं ली जा रही है।
13 दिसंबर से खदान में फंसे हैं मजदूर
बीते 13 दिसंबर को मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स में अवैध कोयला खदान में नदी का पानी घुस गया था। इससे खदान में काम कर रहे मजदूर अंदर फंस गए। पानी भर जाने से न तो मजदूर बाहर आ पा रहे हैं और न ही बचाव दल मजदूरों के पास पहुंच पाया है। कई एजेंसियां मिलकर मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश में लगी है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।