दिन में सैंकड़ों उड़ान भरने वाली जेट एयरवेज जमीन पर कैसे आ गई?
क्या है खबर?
प्राइवेट एयरलाइन जेट एयरवेज ने गुरुवार से अपने ऑपरेशन बंद कर दिए हैं। पिछले 20 सालों में विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइन के बाद बंद होने वाली जेट दूसरी एयरलाइन कंपनी है।
बैंकों के कर्ज तले दबी जेट एयरवेज ने बुधवार रात से अपनी सभी उड़ानें अस्थायी तौर पर बंद करने का फैसला किया है।
इससे कंपनी के 20,000 से ज्यादा कर्मचारियों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है।
जानिये, जेट एयरवेज आसमान से जमीन पर कैसे आ गई।
जानकारी
एयर टैक्सी से शुरू हुआ जेट एयरवेज का सफर
जेट एयरवेज की शुरुआत एयर टैक्सी के रूप में हुई थी। नरेश गोयल के नेतृत्व में कंपनी ने चार जहाजों के बेड़े के साथ अपनी शुरुआत की थी। 5 मई, 1993 को कंपनी की पहली फ्लाइट ने मुंबई से अहमदाबाद के लिए उड़ान भरी थी।
डील
एयर सहारा के साथ हुई डील कंपनी को पड़ी महंगी
जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल ने 2007 में एयर सहारा को खरीदा था। यह पूरी डील 2,250 करोड़ रुपये में हुई थी।
इसके बाद बाजार में गोएयर, इंडिगो और स्पाइसजेट जैसी किफायती किराए वाली कंपनियां आ गई।
इनसे मुकाबला करने के लिए जेट एयरवेज को किराए कम करने पड़े। इसी दौरान बाजार में हवाई ईंधन के दाम बढ़ रहे थे, जिससे कंपनी को घाटा होना शुरू हो गया।
धीरे-धीरे कंपनी पर कर्ज और आर्थिक मुश्किलें बढ़ती गईं।
कुल कर्ज
कंपनी पर है 26 बैंको का कर्ज
फिलहाल जेट एयरवेज पर 8,500 करोड़ रुपये का कर्ज है। कंपनी ने यह कर्ज SBI, PNB, इलाहाबाद बैंक, केनरा बैंक, ICICI बैंक समेत 26 बैंकों से लिया है।
दरअसल, 2010 के बाद कंपनी को लगातार चार तिमाहियों में भारी नुकसान उठाना पड़ा था, जिससे कंपनी EMI नहीं चुका पाई।
बोलीदाताओं की मांग के बाद पिछले महीने कंपनी के फाउंडर नरेश गोयल को पत्नी के साथ कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा देना पड़ा। उनके पास कंपनी के 51 प्रतिशत शेयर हैं।
बोली
अब कंपनी के पास क्या रास्ता?
कंपनी ने अपने ऑपरेशन जारी रखने के लिए बैंकों से 400 करोड़ रुपये के आपातकालीन फंड की मांग की थी, लेकिन यह फंड नहीं मिल पाया है।
कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों के समूह की तरफ से SBI ने जेट एयरवेज की 32.1-75 प्रतिशत बिक्री के लिए 8-12 अप्रैल तक बोलियां आमंत्रित की थी।
इसमें एतिहाद एयरवेज, नेशनल इन्वेस्टमेंट फंड, इंडिगो पार्टनर और TPG आगे आए। इनके पास अंतिम बोली लगाने के लिए 10 मई तक का समय है।
जानकारी
अगर बोली नहीं लगी तो क्या होगा?
अगर 10 मई तक कंपनी के शेयर खरीदने के लिए बोली नहीं लगती है तो कंपनी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में जाएगी। यहां कंपनी ने उसका रिवाईवल प्लान मांगा जाएगा। अगर कंपनी यह पेश नहीं कर पाई तो इसकी नीलामी शुरू होगी।
मुश्किलों में जेट
बुधवार को केवल 5 उड़ानें
दिसंबर 2018 तक जेट एयरवेज के पास बोइंग 777 और एयरबस A330, सिंगल B737 और टर्बोप्रॉप एटीआर के साथ कुल 124 एयरक्राफ्ट थे।
इनके सहारे रोजाना कंपनी की 600 फ्लाइट उड़ान भरती थी, लेकिन बुधवार को कंपनी के विमानों ने केवल 5 उडानें भरी।
कंपनी ने कहा कि संचालन के लिए उसके पास पैसा नहीं बचा है। वहीं किसी भी कर्जदार से कर्ज नहीं मिल पाने के कारण वह अपने फ्लाइट ऑपरेशन को जारी नहीं रख सकती।