राजस्थान: सियासी घमासान के बीच बागी विधायकों तक कैसे पहुंच बना रहे हैं मुख्यमंत्री गहलोत?
कहते हैं कि राजनीति में कोई भी स्थाई शत्रु या मित्र नहीं होता है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में चल रहे सियासी घमासान के बीच इसे साबित भी कर दिया है। मुख्यमंत्री गहलोत ने महत्वपूर्ण विधानसभा सत्र से पहले अपने पूर्व डिप्टी सचिन पायलट के करीबी विधायकों तक पहुंचने की कोशिश की है। उन्होंने गत दिनों राज्य में की गई कॉलेजों की घोषणा में पायलट गुट के विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र को भी शामिल किया है।
बागी विधायकों ने कांग्रेस सरकार को खतरे में डाला
पिछले महीने राजस्थान और दिल्ली के सियासी गलियारों के चर्चित चेहरे सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ विद्रोह की घोषणा कर दी थी। उन्होंने कहा था कि 200 सदस्यीय विधानसभा में गहलोत को बहुमत नहीं मिला और बाद में अपने समर्थित विधायकों के साथ हरियाणा में डेरा डाल दिया। कांग्रेस ने पायलट को मनाने की कोशिश भी की, लेकिन सफलता नहीं मिली। बाद में पार्टी ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया।
मुख्यमंत्री के खिलाफ आवाज उठाने पर नहीं ठहराया जा सकता अयोग्य- बागी विधायक
बता दें कि विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने के बाद विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने पायलट और उनके 18 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया। उनके हाईकोर्ट जाने के बाद न्यायायल ने उन्हें राहत देते हुए "यथास्थिति" बनाए रखने का आदेश जारी कर दिया। बागियों ने कहा कि नेतृत्व का विरोध करना अयोग्यता का आधार नहीं है। उन्होंने गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की और कहा कि गहलोत ने उन्हें निराश किया है।
गहलोत ने बागी विधायकों को लुभाने का किया प्रयास
मुख्यमंत्री गहलोत ने अपनी दृढ़ता से राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को 14 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने के लिए मजबूर करने के बाद अब बागी विधायकों को लुभाने का प्रयास किया है। उन्होंने गत दिनों नए कॉलेजों की घोषणा की थी और उसमें बागी विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों को भी शामिल किया था। इसके अलावा उन्होंने गुर्जरों को लुभाने के लिए राजस्थान न्यायिक सेवा नियम, 2010 में भी संशोधन किया, जिसमें SBC का 5% आरक्षण शामिल है।
कुर्सी बचाने के लिए आदिवासी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे गहलोत
कुर्सी बचाने के लिए गहलोत इस समय दक्षिण राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस क्षेत्र को भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) का गढ़ माना जाता है। पार्टी में दो आदिवासी विधायक हैं और गहलोत के लिए उनका समर्थन महत्वपूर्ण है।
पायलट गुट ने दिए समझौता करने के संकेत
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के दोनों गुटों के बीच एक समझौते की संभावना बनी हुई है और बागी विधायक विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं। हाल ही में पायलट गुट ने अपने सुर बदलते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने वाले गोविंद सिंह डोटासरा को बधाई दी थी। इसके अलावा पायलट के सहयोगी गजेंद्र सिंह शक्तावत ने भी पुष्टि की कि सभी बागी विधायक जल्द ही जयपुर पहुंचेंगे।
हम आत्म-सम्मान के लिए लड़ रहे हैं- पायलट के सहयोगी
पायलट के सहयोग गजेंद्र सिंह शक्तावत ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ लड़ाई "आत्मसम्मान" की लड़ाई है। पायलट और अन्य विधायक अभी भी कांग्रेस के शीर्ष पदाधिकारियों के संपर्क में हैं और एक सौहार्दपूर्ण समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने पायलट की बर्खास्तगी पर कहा कि केवल राज्यपाल को ही किसी मंत्री को बर्खास्त करने का अधिकार है। शक्तावत ने दावा किया कि पायलट गुट कभी भी भाजपा के संपर्क में नहीं रहा।
"कोरोना वायरस महामारी के कारण हरियाणा में ठहरे हैं विधायक"
शक्तावत ने सफाई देते हुए कहा, "हममें से कोई भी भाजपा के किसी नेता से नहीं मिला है, न ही भाजपा का कोई व्यक्ति हमसे मिलने आया है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ने मामलों के कारण हम हरियाणा में रह रहे हैं।"