कांग्रेस ने बुकलेट में किया दावा- गोडसे और सावरकर के थे शारीरिक संबंध; बवाल शुरू
क्या है खबर?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान शिवसेना की ओर से घोषणा-पत्र में वीर सावरकर को भारत रत्न दिलाने का वादा करने के बाद से उठा विवाद ठंडा पड़ने का नाम नहीं ले रहा है।
अब भोपाल में कांग्रेस सेवादल के 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में सावरकर और महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे के संबंधों को लेकर एक विवादित साहित्य बांटने का मामला सामने आया है।
इसमें दोनों के बीच शारीरिक संबंध होने का दावा किया गया है।
विवाद
ब्रह्मचर्य से पहले सावरकर से थे शारीरिक संबंध
कांग्रेस सेवादल की ओर से प्रशिक्षण शिविर में 'वीर सावरकर कितने 'वीर'?' नाम से एक बुकलेट वितरित की गई है। इस बुकलेट में कांग्रेस ने सावरकर की जिंदगी से जुड़ी तमाम घटनाओं का जिक्र किया है।
इसमें लिखा गया है कि ब्रह्मचर्य ग्रहण करने से पहले नाथूराम गोडसे के वीर सावरकर के साथ शारीरिक संबंध थे।
बुकलेट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को नाजी और फासीवादी संस्था के रूप में दर्शाया गया है।
बचाव
सबूतों के आधार पर बुकलेट के तथ्य- कांग्रेस
बुकलेट पर विवाद बढ़ने के बाद कांग्रेस ने इसका बचाव शुरू कर दिया है।
कांग्रेस नेता लालजी देसाई ने इसमें प्रकाशित जानकारी को "ऐतिहासिक तथ्य" बताते हुए कहा है कि भाजपा द्वारा नायकों के रूप में प्रस्तुत किए गए लोगों की वास्तविकता जानना महत्वपूर्ण है।
लेखक ने सबूतों के आधार पर लिखा है कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि वह समलैंगिक था या नहीं। आज देश में हर किसी को अपनी प्राथमिकताएं रखने का कानूनी अधिकार है।
विरोध
उद्धव को अपमानित कर रही कांग्रेस?
कांग्रेस सेवादल की ओर से इस बुकलेट को वितरित करने पर भाजपा ने विरोध जताया है।
भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा है कि शिवसेना की ओर से सावरकर को भारत रत्न दिलाने की घोषणा करने के बाद से ही कांग्रेस वीर सावरकर को बदनाम करने पर जुटी है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि अब महाराष्ट्र की कुर्सी पर शिवसेना काबिज है तो कांग्रेस नए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बदनाम करने का प्रयास कर रही है।
विवाद
बहुत पुराना है सावरकर और विवादों का नाता
वीर सावरकर पर विवाद बहुत पुराना है। वर्ष 2000 में अटल बिहारी सरकार ने जब सावरकर को भारत रत्न देने के लिए राष्ट्रपति के पास प्रस्ताव भेजा था तब भी विवाद उठा था।
हालांकि, उस दौरान राष्ट्रपति ने प्रस्ताव पर विचार नहीं किया था।
महाराष्ट्र चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली रामलीला मैदान में सावरकर का नाम लेकर विवाद को तूल दिया था।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सावरकर को भाजपा का अनमोल रत्न करार दिया था।
विचारधारा
सावरकर पर एक-दूसरे के धुर विरोधी हैं कांग्रेस-भाजपा
वीर सावरकर को लेकर कांग्रेस और भाजपा शुरू से ही एक-दूसरे की धुर विरोधी रही हैं। खास बात यह है कि कांग्रेस तो महात्मा गांधी की हत्या में सावरकर का नाम आने को लेकर उनका विरोध करती आई है।
दूसरी ओर सावरकर कभी भी RSS और भारतीय जनसंघ के सदस्य नहीं रहे, लेकिन उनके राजनीति में हिन्दुत्व की अवधारणा को लाने के लिए भाजपा उनका समर्थन करती है।
इसी कारण दोनों पार्टियों में सावरकर को लेकर विवाद बना रहता है।