सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस, गवर्नर की चिठ्ठी पेश करने का आदेश
क्या है खबर?
शिवसेना-कांग्रेस-NCP की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार को नोटिस भेजा है।
कोर्ट ने उनसे कल सुबह 10:30 बजे तक भाजपा द्वारा राज्यपाल को दिए विधायकों के समर्थन पत्र और राज्यपाल द्वारा भाजपा को सरकार बनाने के लिए दिए गए न्यौते के दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया है।
कोर्ट के इस आदेश के बाद फडणवीस को 24 घंटे की राहत मिल गई है।
जानकारी
सु्प्रीम कोर्ट में किसने क्या तर्क रखे?
न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच के सामने तर्क रखते हुए कांग्रेस और शिवसेना के 24 घंटे के अंदर राज्य में बहुमत परीक्षण कराने की मांग की। वहीं भाजपा के पक्ष के वकीलों ने पार्टी के लिए समय खरीदने की कोशिश की।
दलील
शिवसेना की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल, कहा- आज ही बहुमत साबित करे भाजपा
शिवसेना की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने पूरे घटनाक्रम को दोहराते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जब शिवसेना-कांग्रेस-NCP शाम सात बजे ही घोषणा कर चुके थे कि वो साथ में सरकार बनाएंगे, ऐसे में राज्यपाल का फडणवीस को शपथ दिलाना पक्षपाती, दुर्भाग्यपूर्ण और इस कोर्ट के सभी कानूनों के खिलाफ है।
बहुमत परीक्षण की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि अगर भाजपा के पास बहुमत है तो उसे आज ही इसे विधानसभा में साबित करना चाहिए।
बयान
सिब्बल ने दिया कर्नाटक का उदाहरण
सिब्बल ने इस दौरान कर्नाटक का भी उदाहरण दिया जहां सुप्रीम कोर्ट ने 48 घंटे के अंदर बहुमत साबित करने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा, "हम कर्नाटक में ऐसा देख चुके हैं। अगर भाजपा के पास बहुमत है तो वो अपना बहुमत साबित करें।"
राज्यपाल पर सवाल
कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने भी उठाए राज्यपाल पर सवाल
वहीं कांग्रेस की ओर पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने भी राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके साथियों ने शाम सात बजे घोषणा कर दी थी कि वो सरकार बनाने का दावा करने जा रहे हैं तो क्या राज्यपाल इंतजार नहीं कर सकते थे।
अजित पवार पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि वो उप मुख्यमंत्री कैसे बने रह सकते हैं जब उन्हें अपनी ही पार्टी से समर्थन हासिल नहीं है।
दूसरा पक्ष
मुकुल रोहतगी बोले, रविवार को क्यों हो रही सुनवाई
महाराष्ट्र भाजपा के कुछ विधायकों की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने ऐसी दलीलें पेश की जिससे वह भाजपा के लिए अतिरिक्त समय की जुगाड़ कर सकें।
उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि रविवार को सुनवाई क्यों हो रही है, रविवार को कोई सुनवाई नहीं होनी चाहिए।"
उन्होंने कहा कि कोर्ट को आज ही कोई आदेश देने की जरूरत नहीं है और राज्यपाल के फैसले में कुछ भी गैरकानूनी नहीं था।
सुनवाई
सिंघवी का सवाल, बहुमत परीक्षण से क्यों भाग रही भाजपा
24 घंटे के अंदर बहुमत परीक्षण की मांग करते हुए सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 1998 में उत्तर प्रदेश और 2018 में कर्नाटक में तत्काल बहुमत परीक्षण कराने के आदेश दे चुकी है और महाराष्ट्र में भी ऐसा होना चाहिए।
भाजपा पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कैसे हो सकता है कि जिसने कल बहुमत का दावा करते हुए शपथ ली, वो आज बहुमत परीक्षण से भाग रहा है।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर रोहतगी के सवाल
रोहतगी ने बहुमत परीक्षण की तारीख तय कर सकने के सुप्रीम कोर्ट के अधिकार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "बहुमत परीक्षण की तारीख तय करने के लिए कोर्ट आदेश नहीं दे सकती। कुछ चीजें राष्ट्रपति के पास हैं जिनमें न्यायपालिका हस्तक्षेप नहीं कर सकती।"
दलीलें
"तीन हफ्ते से सो रहे थे शिवसेना, कांग्रेस और NCP"
शिवसेना-काग्रेस-NCP की याचिका पर सवाल उठाते हुए रोहतगी ने कहा, "उनके पास कुछ भी नहीं है। तीन हफ्ते से वो सो रहे थे। उनके दावे को साबित करने के लिए याचिका के साथ कोई दस्तावेज नहीं हैं।"
इस पर जब कोर्ट ने सिब्बल से सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिया, "कुछ भी आधिकारिक या सार्वजनिक नहीं है। हमें नहीं पता कि भाजपा की सरकार के समर्थन में कौन सा पत्र दिया गया था।"
सुनवाई टली
केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस, कल कोर्ट सुनाएगी फैसला
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए सरकार गठन से संबंधित जरूरी दस्तावेज कोर्ट में पेश करने को कहा।
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से भाजपा द्वारा राज्यपाल को दिए विधायकों के समर्थन पत्र और राज्यपाल द्वारा भाजपा को सरकार बनाने के लिए दिए गए न्यौते के दस्तावेज दायर करने को कहा।
फडणवीस और अजित पवार को भी नोटिस दिया गया है।