महाराष्ट्र: राजभवन पहुंची कांग्रेस, शिवसेना और NCP, तीनों पार्टियों ने किया सरकार बनाने का दावा
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट मेंं सुनवाई से पहले शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता राजभवन पहुंचे। इन नेताओं ने राजभवन के अधिकारी को अपने पास राज्य में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्याबल होने की जानकारी दी। उन्होंने विधायकों के समर्थन का पत्र राजभवन अधिकारी को सौंपा। इस बीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई की और वो बहुमत परीक्षण की मांग पर कल फैसला सुनाएगी।
तीनों पार्टियों ने किया सरकार बनाने का दावा
समर्थन पत्र पर कुल 162 विधायकों के हस्ताक्षर
तीनों पार्टियों ने राज्यपाल को जो समर्थन पत्र सौंपा है उसमें कांग्रेस, NCP और शिवसेना के 162 विधायकों क हस्ताक्षर हैं। समर्थन पत्र पर NCP के 54 में से 53 विधायकों के हस्ताक्षर है यानि इस पर अजित पवार को छोड़ सभी विधायकों के हस्ताक्षर है। राज्यपाल के साथ बैठक के बाद NCP विधायक दल के नेता जयंत पाटिल ने कहा कि मौजूदा सरकार झूठे दस्तावेजों के आधार पर बनाई गई है।
क्या है महाराष्ट्र का मौजूदा संकट?
बता दें कि शनिवार को भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने सुबह-सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उन्होंने राज्यपाल को 54 NCP विधायकों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र सौंपा था जो उन्हें अजित पवार ने दिया था। अजित पवार ने उनके साथ उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इस समर्थन पत्र के बारे में कहा जा रहा है कि अजित को ये पत्र शिवसेना को देने के लिए दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसका गलत इस्तेमाल किया।
शरद पवार ने दिखाई अपनी शक्ति
एक रात के अंदर पूरे खेल के बदलने से सभी चौंक गए थे और NCP पर दो हिस्सों में टूटने का खतरा मंडरा रहा था। लेकिन इसके बाद NCP प्रमुख शरद पवार ने अपनी ताकत दिखाते हुए धीरे-धीरे सभी विधायकों को अपनी तरफ कर लिया और आज 53 विधायकों के समर्थन वाला पत्र राज्यपाल को सौंपा। इस बीच अजित को NCP विधायक दल के नेता के पद से भी हटा दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी सबकी नजरें
इस बीच रविवार को शिवसेना-कांग्रेस-NCP की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार को नोटिस भेजा था। कोर्ट ने उनसे सोमवार सुबह 10:30 बजे तक भाजपा द्वारा राज्यपाल को दिए विधायकों के समर्थन पत्र और राज्यपाल द्वारा भाजपा को सरकार बनाने के लिए दिए गए न्यौते के दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया था। आज ये दोनों पत्र सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किए गए।
महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा, फ्लोर टेस्ट की समयसीमा तय करना राज्यपाल का विवेकाधिकार
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल की ओर से सरकार बनाने का जो न्यौता दिया गया वो सही है। उन्होंने कहा, "फ्लोर टेस्ट कभी भी हो सकता है और इसका फैसला स्पीकर पर है। फ्लोर टेस्ट कराना उनकी जिम्मेदारी है। यहां कोर्ट का कोई सवाल नहीं है। फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल को समयसीमा तय करने को नहीं कहा जा सकता है । यह राज्यपाल का विवेकाधिकार है।"
शिवसेना, कांग्रेस और NCP ने की 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट की मांग
वहीं शिवसेना की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट की मांग करते हुए सवाल किया कि ऐसी कौन सी राष्ट्रीय आपदा आ गई थी कि सुबह सवा 5 बजे राष्ट्रपति शासन हटाया गया और शपथ दिलवा दी गई। इसका खुलासा होना चाहिए। कांग्रेस और NCP की तरफ से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जब दोनों पक्ष फ्लोर टेस्ट को सही कह रहे हैं तो इसमें देर क्यों हो रही है।
कल 10:30 बजे आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा और वो कल 10:30 बजे अपना फैसला सुनाएगी। बता देें कि न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है।