महाराष्ट्र: राज्यपाल के साथ मुलाकात के बाद भाजपा की घोषणा, नहीं बनाएंगे सरकार
भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनाएगी। रविवार को भाजपा नेताओं ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को इसके बारे में सूचित किया। भाजपा ने राज्यपाल से कहा कि वो अकेले दम पर सरकार नहीं बना सकती, इसलिए सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेगी। शनिवार को ही राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया था, जिसे लेकर आज दो बार राज्य भाजपा की शीर्ष नेताओं की बैठक हुई।
विचार विमर्श के बाद राज्यपाल को किया फैसले के बारे में सूचित
अपनी बैठक में राज्यपाल के न्योते पर विचार विमर्श करने के बाद कार्यवाहक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल समेत भाजपा के शीर्ष नेता राज्यपाल से मिले और उन्हें राज्य में सरकार न बनाने के अपने फैसले के बारे में सूचित किया।
महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनाएगी भाजपा
पाटिल बोले, शिवसेना हमारे साथ आने को तैयार नहीं
मीडिया को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख पाटिल ने कहा, "हम राज्य में सरकार नहीं बनाएंगे। हम सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकते क्योंकि शिवसेना हमारे साथ आने को तैयार नहीं है। हमने इस बारे में राज्यपाल को सूचित कर दिया है।"
क्यों फंसा है महाराष्ट्र में सरकार के गठन पर पेंच?
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसी भी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। चुनाव में भाजपा को 105, शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को 54 सीटें मिली हैं। हालांकि चुनाव में भाजपा और शिवसेना गठबंधन में लड़े थे और जनता ने उन्हें स्पष्ट बहुमत दिया था। लेकिन सत्ता के बंटवारे और मुख्यमंत्री पद को लेकर उनमें सहमति नहीं बनी, जिसके कारण सरकार का गठन नहीं हो पाया।
पाटिल का शिवसेना पर निशाना, जनादेश का कर रही अपमान
पाटिल ने मीडिया से बात करते हुए शिवसेना पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "राज्य विधानसभा चुनाव में हम गठबंधन में चुनाव लड़े थे और हमारे इस गठबंधन को जनादेश मिला। अगर शिवसेना इस जनादेश का अपमान करना चाहती है और कांग्रेस और NCP के साथ सरकार बनाना चाहती है तो हम उन्हें शुभकामनाएं देती है।" बता दें कि राज्यपाल के न्योते पर अंतिम फैसला लेने के लिए राज्य भाजपा की कोर टीम ने दो बार बैठक की थी।
अब आगे क्या?
भाजपा के सरकार बनाने से मना करने के बाद अब मुख्यतौर पर दो रास्ते बचे हैं। पहला तो ये कि राज्यपाल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते शिवसेना को सरकार बनाने को न्योता दें और वो NCP और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बना लें। पिछले दिनों NCP के शिवसेना के साथ गठबंधन में सरकार बनाने और कांग्रेस के उसे बाहर से समर्थन देने का फॉर्मूला सामने भी आया था।
कांग्रेस में शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर संशय
लेकिन इस फॉर्मूले में मुख्य दिक्कत कांग्रेस को लेकर है। NCP तो एक बार को शिवसेना के साथ सरकार बनाने को जा सकती है, लेकिन कांग्रेस में इसे लेकर आम राय नहीं है। कांग्रेस इस बात को लेकर संशय में है कि वह शिवसेना के साथ सरकार बनाए या नहीं और इसकी बानगी उसके नेताओं के विरोधाभासी बयानों से भी मिलती है। अगर शिवसेना, कांग्रेस और NCP साथ सरकार नहीं बनाते तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा।