महाराष्ट्र: विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और शिवसेना में मतभेद
भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी शिवसेना के बीच दोस्ती-दुश्मनी का खेल एक बार फिर से शुरू हो गया है। इस बार इसका कारण बने हैं साल के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव। दोनों पार्टियों में सीट बंटवारे का लेकर मतभेद है। जहां शिवसेना अपने लिए भाजपा के बराबर 135 सीट चाहती है, वहीं भाजपा उसे 120 से ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं है। दोनों पार्टियां अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर रही हैं।
क्या है मतभेद?
दरअसल शिवसेना चाहती है कि महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से भाजपा और शिवसेना 135-135 सीटों पर चुनाव लड़ें और बाकी 18 सीटें अन्य सहयोगियों को दी जाएं। लेकिन भाजपा का मानना है कि लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए उसे राज्य में 'बड़े भाई' की भूमिका निभानी चाहिए। वह शिवसेना को 120 सीटें देने को तैयार है, वहीं अपने लिए वह 155 सीटें चाहती है।
भाजपा को विश्वास, अकेले दम पर बना सकते हैं सरकार
भाजपा अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने को भी तैयार है। पार्टी को भरोसा है कि अपने भारी संसाधनों और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के बलबूते पार्टी विधानसभा चुनाव में अपने दम पर बहुमत हासिल कर सकती है। भाजपा नेताओं का मत है कि ऐसा करके वह शिवसेना जैसे सहयोगी से अपना पीछा छुड़ा सकती है जो उसके लिए विरोधियों से ज्यादा परेशानी खड़ी करती है और आए दिन किसी न किसी बात को लेकर उसकी आलोचना करती रहती है।
भाजपा पर हमलावर है शिवसेना
इस समय भी शिवसेना ने आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई और राम मंदिर जैसे मुद्दों को लेकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। इसके अलावा पार्टी ने केंद्र सरकार को खस्ताहाल अर्थव्यवस्था पर मनमोहन सिंह की बात सुनने की सलाह भी दी है।
गठबंधन तोड़ने की इच्छुक नहीं शिवसेना, लेकिन अकेले चुनाव लड़ने को भी तैयार
दूसरी ओर शिवसेना की भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने की इच्छा तो नहीं है, लेकिन अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर रही है। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने करीबी सहयोगियों को बताया है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणनीस तो गठबंधन जारी रखने के इच्छुक हैं, लेकिन राज्य भाजपा 50-50 सीट बंटवारे पर राजी नहीं है। शिवसेना का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले अमित शाह ने उनसे विधानसभा चुनाव में आधी सीटें देने का वादा किया था।
फडणवीस को उम्मीद, सीट बंटवारे पर बन जाएगी सहमति
अपनी 'महाजनादेश यात्रा' के दौरान रिपोर्टर्स से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने सीट बंटवारे पर सहमति बनने की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा, "अगर हम साथ लड़ते हैं तो कुछ सीटें हमें मिलेंगी, कुछ नहीं। हमें इसकी चिंता नहीं है।"
मुख्यमंत्री पद को लेकर भी लड़ाई, दोनों पार्टियां चाहती हैं अपना मुख्यमंत्री
भाजपा और शिवसेना में मतभेद का एक कारण मुख्यमंत्री पद भी है और दोनों पार्टियां अपना मुख्यमंत्री चाहती हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं। वहीं सारी परिस्थितयां अपने हक मे होने के बाद भाजपा 'बड़े भाई' की अपनी भूमिका और मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ना चाहती। इन सारी बातों को देखते हुए संभव है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा बनाम शिवसेना की लड़ाई देखने को मिले।
2014 से पहले 'बड़े भाई' की भूमिका में रहती थी शिवसेना
मोदी के राष्ट्रीय पटल पर उदय से पहले महाराष्ट्र में शिवसेना 'बड़े भाई' की भूमिका में रहती थी। लेकिन 2014 विधानसभा चुनाव के बाद स्थिति बिल्कुल उलटी हो गई। इस चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनी और दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद दोनों ने गठबंधन में सरकार बनाई, लेकिन शिवसेना से ज्यादा सीटें हासिल कर भाजपा ने साबित कर दिया कि अब वो 'बड़े भाई' की भूमिका में है।
लोकसभा चुनाव में भी सीट बंटवारे को लेकर हुआ था मतभेद
भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाने के बावजूद शिवसेना लगातार विपक्षी पार्टी की तरह व्यवहार करती रही और पिछले पांच साल में कई बार भाजपा और केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की। संबंध इतने खराब हो गए थे कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गठबंधन टूटने की कगार पर आ गया। लेकिन अमित शाह ने उद्धव ठाकरे से निजी तौर पर मिलकर सारे गिले-शिकवे मिटाए और लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर समझौता हुआ।