महाराष्ट्र: बहुमत परीक्षण के समय सबसे अहम साबित होंगे ये दो फैक्टर
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के सियासी संकट में बहुमत परीक्षण सारे सवालों का जवाब नजर आ रहा है।
भाजपा यहां बहुमत परीक्षण की तारीख को आगे बढ़ाने में लगी हुई है, वहीं शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण की मांग कर रहे हैं।
लेकिन बहुमत परीक्षण कभी भी हो, इसमें दो फैक्टर बेहद अहम रहने जा रहे हैं।
ये दो फैक्टर क्या हैं, आइए आपको बताते हैं।
प्रोटेम स्पीकर
कौन बनेगा प्रोटेम स्पीकर?
बहुमत परीक्षण के समय सबसे पहली चीज जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होगी, वो ये कि प्रोटेम स्पीकर कौन बनता है।
प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी विधानसभा के नए सदस्यों को शपथ दिलाना और बहुमत परीक्षण कराना होती है।
आमतौर पर विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। लेकिन जरूरी नहीं कि राज्यपाल इस प्रथा का पालन करे और वो किसी अन्य सदस्य को भी प्रोटेम स्पीकर बना सकते हैं।
उदाहरण
कर्नाटक में राज्यपाल ने सबसे वरिष्ठतम सदस्य को नहीं बनाया था प्रोटेम स्पीकर
पहले के उदाहरण लें तो 2018 में कर्नाटक में राज्यपाल वजूभाई वाला ने विधानसभा के सबसे वरिष्ठतम सदस्य कांग्रेस के आरवी देशपांडे की जगह भाजपा के केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाया था।
इसके लिए उन्होंने दलील दी थी कि उन्होंने बोपैया का नाम राज्य विधानसभा के सचिव द्वारा दी गई सूची से चुना था।
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में कोर्ट ने बोपैया के चयन की मेरिट में जाने से इनकार कर दिया था।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में कांग्रेस के बालासाहेब थोरट सबसे वरिष्ठतम सदस्य
मौजूदा महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस के बालासाहेब थोरट सबसे वरिष्ठतम विधायक हैं और प्रथा के अनुसार उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनना चाहिए। लेकिन भाजपा नहीं चाहेगी कि बहुमत परीक्षण के समय किसी विरोधी पार्टी का नेता विधानसभा स्पीकर बने।
ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उनकी जगह किसी और सदस्य को भी प्रोटेम स्पीकर बना सकते हैं।
अगर ऐसा होता है तो ये पार्टियों में टकराव का एक और बड़ा मुद्दा बन सकता है।
NCP विधायक दल नेता
कौन माना जाएगा NCP विधायक दल का नेता?
बहुमत परीक्षण के समय दूसरी चीज जो महत्वपूर्ण साबित हो सकती है वो ये कि NCP के विधायक दल का नेता किसे माना जाता है।
अजित पवार की बगावत से पहले वो NCP के विधायक दल के नेता थे और इसी नाते उन्होंने राज्यपाल को NCP विधायकों का समर्थन पत्र दिया था। लेकिन इसके बाद NCP ने अपनी बैठक में अजित को इस पद से हटा कर जयंत पाटिल को पार्टी विधायक दल का नेता बना दिया।
महत्व
क्यों महत्वपूर्ण है कौन बनेगा NCP विधायक दल का नेता?
अजित पवार और जयंत पाटिल में से NCP विधायक दल का नेता कौन है इसका फैसला स्पीकर पर निर्भर करेगा और ये बेहद महत्वपूर्ण होगा।
अगर स्पीकर अजित को NCP विधायक दल का नेता मानते हैं तो उनके द्वारा जारी व्हिप को मान्यता मिलेगी और भाजपा के समर्थन में वोट देने वाले NCP विधायकों की सदस्यता बच जाएगी।
वहीं व्हिप के खिलाफ वोट देने वाले विधायकों की सदस्यता चली जाएगी।
जानकारी
जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता स्वीकार करने पर पलट जाएगा मामला
अगर स्पीकर जयंत पाटिल को NCP विधायक दल का नेता मानते हैं तो उनके व्हिप को मान्यता मिलेगी। इससे पूरा मामला बिल्कुल उलट हो जाएगा और भाजपा को समर्थन देने वाले NCP विधायकों की सदस्यता चली जाएगी।