महाराष्ट्र: भाजपा ने शुरू किया 'ऑपरेशन कमल', जानें बहुमत जुटाने के लिए हो रही क्या-क्या तिकड़म
महाराष्ट्र में बहुमत परीक्षण के लिए संख्याबल जुटाने में लगी भाजपा ने राज्य में 'ऑपरेशन कमल' शुरू कर दिया है। पार्टी ने चुनाव से पहले कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले चार नेताओं को इसकी जिम्मेदारी दी है। भाजपा को उम्मीद है कि वो बहुमत के लिए जरूरी 145 विधायकों का आंकड़ा जुटाने में कामयाब रहेगी। इसके लिए भाजपा ने क्या गणित लगाया है, आइए आपको बताते हैं।
निर्दलीयों और छोटी पार्टियों को अपनी तरफ करेगी भाजपा
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के 105 विधायक हैं और उसे बहुमत के आंकड़े 145 तक पहुंचने के लिए 40 अन्य विधायकों की जरूरत है। राज्य में निर्दलीय और छोटी पार्टियां के कुल मिलाकर 29 विधायक हैं। इनमें से 11 निर्दलीय विधायक पहले ही भाजपा को अपने समर्थन दे चुके हैं और भाजपा को उम्मीद है कि समाजवादी पार्टी और AIMIM के दो-दो विधायकों को छोड़कर बाकी निर्दलीय और छोटी पार्टियां भी उसकी तरफ आ जाएंगी।
भाजपा को उम्मीद, अजित पवार के पास 28-30 विधायकों का समर्थन
अगर सपा और AIMIM के चार विधायकों को छोड़कर बाकी सभी विधायक भाजपा को समर्थन दे भी देते हैं तो भी उसका संख्याबल 130 के आसपास पहुंचेगा और उसके 15 और विधायकों की जरूरत होगी। यहां पर NCP तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बनाने वाले अजित पवार की भूमिका अहम हो जाती है। भाजपा को उम्मीद है कि अजित NCP से 28-30 विधायक उसकी तरफ लाने में कामयाब रहेंगे जिनकी मदद से वो आसानी से बहुमत साबित कर देगी।
145 से अधिक विधायक जुटाने के लिए लॉन्च किया ऑपरेशन कमल
लेकिन भाजपा केवल इन्हीं समीकरणों पर निर्भर रहने के मूड में नहीं है और उसने 'ऑपरेशन कमल' लॉन्च किया है। ऑपरेशन कमल के जरिए भाजपा 170-180 के आंकड़े तक पहुंचने का दावा कर रही है। इसकी जिम्मेदारी राधाकृष्ण विखे पाटिल, नारायण राणे, गणेश नायक और बबनराव पाचपुते को दी गई है। पाटिल और राणे चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे, जबकि नाइक और पाचपुते NCP से भाजपा में आए थे।
ऐसे काम करेगा ऑपरेशन कमल
इन चारों नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है कि वो अपनी पुरानी पार्टियों में मौजूद अपने करीबी नेताओं के जरिए भाजपा के समर्थन में और विधायक लाने की कोशिश करें। अगर ये चारों नेता ऐसा करने में कामयाब रहते हैं तो भाजपा बहुमत के आंकड़े तक आसानी से पहुंच सकती है। इसके अलावा भाजपा ने राज्य जल मंत्री गिरीश महाजन को शिवसेना के कुछ विधायकों को अपनी तरफ करने की जिम्मेदारी दी है।
विरोधी पार्टियों के कुछ विधायक अनुपस्थित होने पर भी बन सकता है भाजपा का काम
भाजपा की योजना है कि अगर ये नेता विरोधी पार्टियों के कुछ विधायकों को अगर बहुमत परीक्षण के दौरान अनुपस्थित रहने के लिए मना लेते हैं तो भी उसका काम बन जाएगा। ऐसा होने पर बहुुमत का आंकड़ा 145 से घटकर कम हो जाएगा और भाजपा अजित पवार के NCP खेमे, निर्दलीय विधायकों और छोटी पार्टियों की मदद से बहुमत साबित करने में कामयाब रहेगी। 2014 में भी यही तरीका अपनाया गया था।
बड़ी बाधा बन सकता है दल-बदल कानून
हालांकि इस सबके बीच भाजपा को दल-बदल विरोधी कानून को भी ध्यान में रखना होगा। जो भी विधायक अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा का साथ देंगे उन पर दल-बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की तलवार लटकती रहेगी। इसी से बचने के लिए भाजपा अजित पवार को NCP विधायक दल का नेता बता रही है ताकि उनके साथ जो NCP विधायक भाजपा को समर्थन दे रहे हैं, वो दल-बदल कानून से बच सकें।
ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए होगी बड़ी समस्या
इन सारे समीकरणों से साफ है कि भाजपा बहुमत साबित करने के लिए बहुुत हद तक अजित पवार पर निर्भर है। अगर अजित 25-30 विधायक उसके समर्थन में खड़े नहीं कर पाते तो उसके लिए मुश्किलें हो सकती हैं।