मुख्यमंत्री पद पर लड़ाई के बीच राज्यपाल से अलग-अलग मिले भाजपा और शिवसेना
क्या है खबर?
महाराष्ट्र में सत्ता और मुख्यमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच टकराव घटने की बजाय बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
सोमवार को भाजपा और शिवसेना दोनों अलग-अलग राज्यपाल से मिले।
शिवसेना की ओर से दिवाकर राउत राज्यपाल भगत सिंग कोशयारी से मिल चुके हैं, जबकि इसके बाद भाजपा की ओर से देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मुलाकात की।
राउत ने अपनी मुलाकात को दिवाली के मौके पर शिष्टाचार भेंट बताया।
बयान
राज्यपाल से सरकार के गठन पर बात कर सकते हैं फडणवीस
राज्यपाल से मुलाकात से पहले भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि मुलाकात का कोई एजेंडा तय नहीं किया गया है, लेकिन सरकार के गठन पर जरूर बात होगी।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री फडणवीस मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के बारे में राज्यपाल को जानकारी देंगे और इस दौरान दोनों में भाजपा के सरकार बनाने का दावा करने की संभावना पर भी बात हो सकती है।
चुनाव परिणाम
चुनाव परिणाम के बाद से ही आमने-सामने हैं दोनों पार्टियां
बता दें कि 23 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही भाजपा और शिवसेना में टकराव की स्थिति बनी हुई है।
2014 के मुकाबले इस बार भाजपा की सीटों की संख्या 122 से घटकर 105 हो गई है। शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं।
दोनों पार्टियां गठबंधन में चुनाव लड़ी थीं और उनके गठबंधन की सरकार बनना तय नजर आ रहा है।
लेकिन इस बीच सत्ता के समझौते पर दोनों पार्टियां आमने-सामने आ गई हैं।
टकराव
चुनाव परिणाम के बाद उद्धव ने याद दिलाया था 50-50 फॉर्मूला
चुनाव परिणाम घोषित होते ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा को 50-50 फॉर्मूला याद दिलाया था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा था, "गठबंधन से पहले भाजपा और शिवसेना में सरकार में 50-50 हिस्सेदारी के फॉर्मूले पर सहमति बनी थी। भाजपा के साथ चर्चा की जाएगी और तब फैसला लिया जाएगा कि कौन मुख्यमंत्री होगा।"
कई जगह आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग करते पोस्टर भी लगाए गए हैं।
धमकी
शिवसेना की अन्य विकल्पों पर विचार करने की धमकी
इसके बाद शनिवार को अपने घर मातोश्री पर शिवसेना विधायक दल की बैठक में भी उद्धव ने अपनी इस बात को दोहराया।
बैठक में उन्होंने अपने विधायकों से कहा कि शिवसेना मुख्यमंत्री पद से कम पर समझौता नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि पार्टी का लक्ष्य पांच साल की सरकार के आधे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद हासिल करना है और अगर भाजपा उसकी इस मांग को नहीं मानती तो वो अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे।
टकराव
भाजपा मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं
वहीं भाजपा मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं है।
वो मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना की मांग को दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं ताकि सरकार गठन के समय वो अपने लिए अहम मंत्री पद हासिल कर सके।
इस बीच गठबंधन में अपना दावा मजबूत करने के लिए दोनों पार्टयां अन्य छोटी-छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों को भी अपनी तरफ करने की कोशिश में लगी हुई हैं।