उत्तर प्रदेश: जमीन के अंदर जिंदा मिली नवजात के इलाज का खर्च उठा रहे भाजपा विधायक
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के बरेली में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
यहां श्मशान घाट में जमीन के लगभग तीन फीट अंदर एक मटके में एक नवजात बच्ची मिली जो जिंदा थी।
डॉक्टरों का कहना है कि वह करीब 48 घंटे से जमीन के अंदर दबी हुई थी।
बच्ची की हालत में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है।
स्थानीय भाजपा विधायक राजेश मिश्रा बच्ची के इलाज का पूरा खर्च उठा रहे हैं और उसकी तुलना माता सीता से की है।
जानकारी
हाल ही में विवादों में रहे थे राजेश मिश्रा
बता दें कि राजेश मिश्रा वही भाजपा विधायक हैं जिनकी बेटी साक्षी मिश्रा ने अपनी पसंद से शादी कर ली थी। साक्षी ने सोशल मीडिया पर वोडियो डालते हुए अपने पिता से खुद की जान को खतरा बताया था।
घटनाक्रम
मृत नवजात बेटी को दफनाने आए परिवार को मिली बच्ची
दिलचस्प है कि मटके में दबी बच्ची उस परिवार को मिली जो अपनी मृत नवजात बेटी को दफनाने श्मशान घाट आए थे।
दरअसल, सीबीगंज इलाके के रहने वाले हितेश कुमार की नवजात बेटी की जन्म के कुछ मिनट बाद मौत हो गई थी।
10 अक्टूबर की शाम को हितेश और उनकी पत्नी अपनी बेटी को दफनाने श्मशान घाट आए थे और दो मजदूर इसके लिए गड्ढा खोद रहे थे।
तभी तीन फीट की गहराई पर मजदूरों को एक मटका मिला।
आश्चर्य
मटके को खोलकर देखा तो अंदर मिली बच्ची
इसके बाद जो हुआ उससे हितेश, उनकी पत्नी और दोनों मजदूर सभी हक्के-बक्के रह गए।
मजदूरों ने जैसे ही मटके को दूर फेंका, उन्होंने उससे किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनी।
आवाज सुनकर एक मजदूर तो मौके से भाग गया वहीं दूसरा मजदूर चौकीदार को बुलाने चला गया।
हितेश, एक मजदूर और चौकीदार ने हिम्मत करके मटके को खोलकर देखा तो उसने उन्हें एक नवजात बच्ची मिली जो जिंदी थी।
इलाज
भाजपा विधायक राजेश मिश्रा उठा रहे इलाज का पूरा खर्च
बच्ची को तुरंत सरकारी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। मामले की जानकारी मिलने पर इलाके से भारतीय जनता पार्टी विधायक राजेश मिश्रा तुरंत मौके पर पहुंचे और बच्ची के हालत के बारे में डॉक्टरों से जानकारी ली।
जिला अस्पताल में 30 घंटे इलाज के बाद बच्ची को खन्ना हॉस्पीटल शिफ्ट कर दिया गया, जहां अभी उसका इलाज चल रहा है।
विधायक राजेश मिश्रा उसके इलाज का पूरा खर्च उठा रहे हैं।
बयान
मिश्रा ने सीता माता से की बच्ची की तुलना
भाजपा विधायक मिश्रा ने बच्ची की तुलना सीता माता से की है जो अपनी अग्निपरीक्षा के बाद जमीन से प्रकट हुई है। उन्होंने कहा, वह खुद एक देवी है। मैं उसके इलाज का खर्च उठा रहा हूं और सुनिश्चित करुंगा कि उसे अच्छी शिक्षा मिले।"
स्थिति
बच्ची की हालत में धीरे-धीरे आ रहा सुधार
इस बीच एक हफ्ते के अंदर बच्ची की हालत में धीरे-धीरे सुधार आया है।
डॉक्टर रवि खन्ना ने कहा कि अगर वह कुछ घंटे बाद मिली होती तो डिहाइड्रेशन जानलेवा हो सकता था।
जब बच्ची मिली तब उसकी वजन 1.2 किलोग्राम था और इलाज के दौरान उसका वजन 65 ग्राम बढ़ गया है। उसे बैक्टेरियल इंफेक्शन भी हुआ है जिसके लिए एंटी-बायोटिक्स दी जा रही है।
पहले 5 ग्राम की तुलना में अब वह 25 ग्राम दूध पी रही है।
बयान
ब्राउन फैट ने बच्ची को रखा जमीन के अंदर जिंदा
बच्ची 48 घंटे जमीन के अंदर जिंदा कैसे रही, इस पर डॉक्टरों का कहना है कि उसके ब्राउन फैट ने उसके शरीर के तापमान को ठीक बनाए रखा और इससे उसे जिंदा रहने में मदद मिली।
डॉ खन्ना ने बताया, "जमीन में दबी मिली बच्ची प्रीमैच्योर बेबी है जिसका गर्भनाल पहले ही गिर चुकी है। उसके प्लेटलेट्स की संख्या सामान्य 1.5 लाख से गिरकर मात्र 10 हजार रह गई है। फिर भी उसके जीवित रहने के संकेत दिखते हैं।"
पुलिस कार्रवाई
माता-पिता की तलाश कर रहा प्रशासन
इस बीच स्थानीय प्रशासन बच्ची के माता-पिता की तलाश में जुटा हुआ है।
अधिकारियों के अनुसार, जब बच्ची को जिंदा दफनाया गया तब वह 4-5 दिन की थी।
बरेली शहर SP अभिनंदन ने बताया, "कन्या भ्रूण हत्या की बात से इनकार नहीं किया जा सकता। कई टीमें बच्ची के माता-पिता का पता लगा रही हैं। ये भी संभव है कि अकेली मां ने बच्ची को छोड़ा हो। लेकिन उसे दफनाया जाना दर्शाता है कि मकसद उसे मारने का था।"