जानिए नागरिकता कानून और NRC पर क्या है भाजपा के सहयोगियों का रुख
इन समय देश की राजनीति में जिन दो चीजों की सबसे अधिक चर्चा है, वो हैं नागरिकता कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC)। देश में इन दोनों कानूनों के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों का प्रभाव इन दोनों विषयों पर राजनीतिक पार्टियों के रुख पर भी पड़ा है और भाजपा की सहयोगी पार्टियां भी इससे अछूती नहीं हैं। आइए जानते हैं कि भाजपा के किस सहयोगी का नागरिकता कानून और NRC पर क्या सोचना है।
JD(U) ने नागरिकता कानून का किया समर्थन, NRC के विरोध में
सबसे पहले बात भाजपा की सबसे अहम सहयोगियों में शामिल नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) की। JD(U) ने संसद में नागरिकता (संशोधन) बिल के पक्ष में वोट दिया था और इस कारण पार्टी में विरोध के स्वर भी उठे थे। लेकिन नीतीश कुमार ने विरोध के इन स्वरों को संभाल लिया और अब NRC का समर्थन न करने का फैसला लिया है। नीतीश ने साफ कर दिया है कि बिहार में NRC लागू नहीं होगा।
अकाली दल भी NRC के खिलाफ
वहीं भाजपा के सबसे पुराने सहयोगियों में शामिल शिरोमणि अकाली दल ने भी संसद में नागरिकता कानून के पक्ष में वोट देने के बाद NRC के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। पार्टी के राज्यसभा सांसद नरेश गुजराल ने कहा है कि उनकी पार्टी NRC का समर्थन नहीं करती। इसके अलावा एक अल्पसंख्यक समुदाय (पंजाबी) का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी होने के नेता अकाली दल ने नागरिकता कानून में मुस्लिमों को शामिल करने की मांग भी की है।
असम गण परिषद ने नागरिकता कानून पर लिया यू-टर्न
असम से भाजपा की अहम सहयोगी असम गण परिषद ने नागरिकता कानून पर यू-टर्न लिया है। पार्टी ने संसद में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती देने का फैसला लिया है। पार्टी प्रमुख प्रफुल्ल महंत खुद इसके खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। नागरिकता कानून के खिलाफ राज्य में हुए जबरदस्त प्रदर्शनों के कारण असम गण परिषद को अपने रुख में बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा है।
लोक जनशक्ति पार्टी ने नहीं किया खुलकर विरोध, जताई विचार विमर्श की जरूरत
बिहार से भाजपा की एक और सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने संसद में नागरिकता कानून का समर्थन करने के बाद इस पर विचार विमर्श किए जाने की मांग की है। LJP के अध्यक्ष चिराग पासवान ने ट्वीट करते हुए कहा था कि भाजपा लोगों के डर दूर करने में असफल रही है। उन्होंने कहा था कि जब तक लोगों की चिंताओं का समाधान नहीं हो जाता, वो NRC का समर्थन नहीं करेंगे।
AIADMK का NRC पर रुख साफ नहीं
भाजपा की सहयोगी और तमिलनाडु की सत्ता पर काबिज AIADMK ने संसद में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था, लेकिन इसका उसके वोटबैंक पर असर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। NRC पर पार्टी ने अभी तक अपना रुख साफ नहीं किया है।
BJD भी NRC के विरोध में
यूं तो बीजू जनता दल (BJD) भाजपा के गठबंधन NDA में शामिल नहीं है, लेकिन उसने संसद में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था। पार्टी अन्य मौकों पर भी भाजपा की मदद करती रही है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा था कि नागरिकता कानून केवल विदेशियों के लिए हैं इसलिए उनकी पार्टी ने इसका समर्थन किया। NRC पर BJD साफ कर चुकी हैं कि ओडिशा में इसे लागू नहीं किया जाएगा और पार्टी इसका समर्थन नहीं करेगी।
YSR कांग्रेस और TRS भी NRC के विरोध में
YSR कांग्रेस ने भी संसद में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने के बाद NRC का विरोध करने का फैसला किया है। पार्टी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड़्डी साफ कर चुके हैं कि वो राज्य में NRC लागू नहीं होने देंगे। वहीं तेलंगाना की सत्ता पर काबिज तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (TRS) ने भी NRC का विरोध करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने सभी पार्टियों से NRC का विरोध करने की अपील की है।