#NewsBytesExplainer: कौन थे राम मंदिर आंदोलन के मुख्य चेहरे और अभी वे कहां?
अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। 22 जनवरी को मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा होनी है, जिसके लिए राजनीति से लेकर कारोबार और बॉलीवुड की कई नामी हस्तियों को न्योता दिया गया है। इस बीच राम मंदिर आंदोलन के अगुवा रहे लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं से स्वास्थ्य कारणों से समारोह में शामिल न होने का अनुरोध किया गया है। आइए जानते हैं कि राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे कौन थे और अभी वे कहां हैं।
लालकृष्ण आडवाणी
आडवाणी (96 वर्षीय) ने राम मंदिर आंदोलन को धार देने के लिए 1990 के दशक में सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकाली थी। उस वक्त उन्हें बिहार में गिरफ्तार भी किया गया था। उनके खिलाफ मस्जिद गिराने की साजिश का आपराधिक मुकदमा भी चलाया गया था। वह भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में हैं और सक्रिय राजनीति से दूर हैं। 8 नवंबर को उनके जन्मदिन पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे भाजपा के शीर्ष नेता उनके घर पहुंचे थे।
मुरली मनोहर जोशी
मुरली मनोहर जोशी (90 वर्षीय) आडवाणी के बाद भाजपा के दूसरे बड़े नेता हैं, जिन्हें राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। वह 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के समय विवादित परिसर के नजदीक मौजूद थे। वह भी भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में हैं और सार्वजनिक जीवन में अब खास सक्रिय नहीं दिखते। उनका हाल में घुटनों का ऑपरेशन हुआ और वह अब बढ़ती उम्र के कारण अधिक चलने-फिरने में असमर्थ हैं।
उमा भारती
वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती (64 वर्षीय) भी राम आंदोलन की अगुवाई में शामिल थीं। इस आंदोलन से उन्हें देशभर में राजनीतिक पहचान मिली। उन पर बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भीड़ को भड़काने के आरोप लगे थे। वह केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी और मोदी सरकार में मंत्री रही हैं। वह 2003 से 2008 तक मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रहीं। उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है।
साध्वी ऋतंभरा
साध्वी ऋतंभरा (59 वर्षीय) भी भाजपा की एक फायरब्रांड नेता हैं, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थीं। उनके नफरती भाषणों के ऑडियो कैसेट आंदोलन के वक्त पूरे देश में सुनाई देते थे। उनके खिलाफ बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश के आरोप तय किए गए थे। उनका वृंदावन में 'वात्सल्यग्राम' नाम का आश्रम भी है। वह उन चुनिंदा लोगों में से हैं, जिन्हें सबसे पहले राम मंदिर उद्धाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण मिला था।
कल्याण सिंह
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के कार्यकाल में ही 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ था। उन पर आरोप लगा था कि उनके इशारे पर पुलिस और प्रशासन ने जान-बूझकर कारसेवकों को नहीं रोका। सिंह का नाम उन 13 लोगों में शामिल था, जिन पर मस्जिद गिराने की आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगा था। अगस्त, 2021 में सिंह का 89 साल की उम्र में निधन हो गया था।
अशोक सिंघल
राम जन्मभूमि आंदोलन को नेतृत्व करने वालों में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेता अशोक सिंघल का नाम भी शामिल हैं। 1990 के दशक में आंदोलन के लिए जनसमर्थन जुटाने में उनकी अहम भूमिका रही। उन्होंने अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिरों को मुक्त करने का अभियान चलाया था। वह 2011 तक VHP के अध्यक्ष रहे और फिर स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। 17 नवंबर, 2015 को उनका निधन हो गया।
विनय कटियार और प्रवीण तोगड़िया
राम मंदिर आंदोलन के लिए 1984 में बजरंग दल का गठन किया गया था और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय कटियार बने थे। वह फैजाबाद लोकसभा सीट से 3 बार सांसद चुने गए। 2019 में कार्यकाल खत्म होने पर उन्हें दोबारा टिकट नहीं मिला। VHP नेता प्रवीण तोगड़िया ने भी राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई, लेकिन उन्होंने अब VHP से अलग होकर अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद नाम का संगठन बना लिया है। वह लगातार मोदी की आलोचना करते रहे हैं।
मंदिर ट्रस्ट ने आडवाणी और जोशी की उपस्थिति पर क्या कहा?
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि आडवाणी और जोशी जैसे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को न्योता तो दिया गया है, लेकिन उनके समारोह में शामिल होने की संभावना कम है। राय ने कहा, "दोनों नेताओं की उम्र अधिक हो गई और वह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। मैंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से अनुरोध किया है वह न आएं और स्वास्थ्य का ध्यान रखें। दोनों ने मेरा निवेदन स्वीकार कर लिया है।"