विरोध प्रदर्शनों के बीच CAA-NRC पर विपक्ष की बैठक, ममता और मायावती नहीं होंगी शामिल

नागरिकता कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच मौजूदा राजनीतिक हालातों पर विचार विमर्श करने के लिए विपक्षी पार्टियां कल नई दिल्ली में बैठक करेंगी। नागरिकता कानून और NRC पर हो रहे हंगामे के बीच राजनीतिक विपक्ष को एकजुट करने का ये पहला प्रयास है। हालांकि ममता बनर्जी और मायावती के इस बैठक में शामिल होने से इनकार करने के कारण इस प्रयास को बड़ा झटका लगा है।
विपक्ष की सबसे अहम नेताओं में शामिल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 8 जनवरी को भारत बंद के दौरान राज्य में हुई हिंसा के कारण इस बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। ममता ने वामपंथी पार्टियों और संगठनों पर इस हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया है। गुरुवार को विधानसभा में उन्होंने कहा था कि कांग्रेस और वामपंथी बंगाल में गंदी राजनीति कर रहे हैं और वो नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ अकेले लड़ेंगीं।
ममता ने बाकी विपक्षी पार्टियों से माफी मांगते हुए कहा था कि उन्होंने ही विपक्ष को एकजुट करने के विचार को आगे रखा था लेकिन देशव्यापी हड़ताल के दौरान राज्य में हुई हिंसा के बाद उनके लिए बैठक में हिस्सा लेना संभव नहीं है।
वहीं बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती भी लगातार कांग्रेस पर हमला कर रही हैं। हाल ही में उन्होंने राजस्थान के कोटा के एक अस्पताल में शिशुओं की मौत को लेकर सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस की महिला महासचिव (प्रियंका गांधी) कोटा में मरने वाले बच्चों की मांओं से नहीं मिलेंगी तो उत्तर प्रदेश में पीड़ितों के परिजनों से उनकी मुलाकात को राजनीतिक लाभ के लिए किया गया नाटक माना जाएगा।
ममता की तरह मायावती ने विपक्ष की इस अहम बैठक में हिस्सा न लेने को लेकर कोई सार्वजनिक ऐलान तो नहीं किया है, लेकिन NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि वो इस बैठक में शामिल नहीं होंगी।
खबरों के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ये बैठक बुलाई है और CPM महासचिव सीताराम येचुरी इस बैठक के अहम सूत्रधार हैं। शनिवार को ही सोनिया ने कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (CWC) की बैठक में नागरिकता कानून को एक भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी कानून बताया था जिसका मकसद देश को धार्मिक आधार पर बांटना है। उन्होंने मोदी सरकार से नागरिकता कानून और NRC को तुरंत वापस लेने की मांग की थी।
बता दें कि नागरिकता कानून और NRC के विरोध को लेकर कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी पार्टियों की रणनीति अभी तक अस्पष्ट रही है। लेकिन पहले इस लड़ाई को लेकर सुस्त नजर आ रही इन पार्टियों को छात्रों, मुस्लिमों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के जबरदस्त प्रदर्शनों ने जगाने का काम किया है। यही नहीं इन प्रदर्शनों के कारण केंद्र सरकार को NRC पर कदम वापस खींचते हुए कहना पड़ा है कि अभी NRC लाने की कोई योजना नहीं है।