प्रधानमंत्री पद पर निशाना लगा कर बैठी हैं मायावती, ट्वीट कर खुद दिया संकेत
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कल बुधवार को ऐलान किया था कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी की आस लगाए बैठे पार्टी कार्यकर्ताओं उनसे इस ऐलान से मायूस बताए जा रहे थे। इसके जवाब में गुरुवार को मायावती ने ट्वीट कर कहा कि वह लोकसभा चुनाव न लड़ने के बाद भी प्रधानमंत्री बन सकती हैं, इसलिए लोगों को उनके फैसले से मायूस नहीं होना चाहिए।
मायावती ने की थी लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा
कल मायावती ने ऐलान किया था कि वह किसी एक सीट से चुनाव लड़ने की बजाय पूरे देश में पार्टी को ज्यादा से ज्यादा सीट जिताने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। उन्होंने कहा था, " यह पार्टी, लोगों और देश के लिए बेहतर होगा कि वह लोकसभा चुनाव न लड़ें।" इस दौरान उन्होंने उम्मीद जताई थी कि पार्टी कार्यकर्ता उनके फैसले का समर्थन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि बाद में जरूरत पड़ी तो वह लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं।
'बिना चुनाव लड़े भी बन सकते हैं प्रधानमंत्री'
इस ऐलान के बाद कार्यकर्ता मायूस नजर आ रहे थे और उन्हें भरोसा दिलाने के लिए मायावती ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, "जिस प्रकार 1995 में जब मैं पहली बार यूपी की CM बनी थी, तब मैं यूपी के किसी भी सदन की सदस्य नहीं थी। ठीक उसी प्रकार केन्द्र में भी PM/मंत्री को 6 माह के भीतर लोकसभा/राज्यसभा का सदस्य बनना होता है। इसलिए अभी मेरे चुनाव नहीं लड़ने के फैसले से लोगों को कतई मायूस नहीं होना चाहिए।"
पहली बार मुख्यमंत्री बनी थी तो चुनाव नहीं लड़ी थी- मायावती
एक सीट पर फंसना नहीं चाहतीं मायावती
मायावती के इस ट्वीट से एक चीज शीशे की तरह साफ हो गई है कि उनकी नजरें प्रधानमंत्री पद पर हैं और वह इसके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। इसी कारण उन्होंने समाजवादी पार्टी से दुश्मनी भुला कर गठबंधन किया और फिर चुनाव न लड़ने की घोषणा की। मायावती किसी एक सीट पर ध्यान देने की बजाय ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहती हैं, ताकि गठबंधन की सरकार बनने पर वह अपना दावा मजबूती से पेश कर सकें।
भाजपा का कम सीटों पर सिमटना बेहद जरूरी
बता दें कि मायावती ने उत्तर प्रदेश में सपा और राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन किया है। सीटों के बंटवारे के अनुसार, बसपा 38, सपा 37 और RLD तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मायावती का लक्ष्य राज्य में गठबंधन के लिए कम से कम 50 सीटें जीतना है ताकि उनका दावा मजबूत हो। हालांकि, उनके प्रधानमंत्री बनने के सपने के पूरा होने के लिए भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों का कम सीटों पर सिमटना बेहद जरूरी है।