विपरीतकरणी आसन: बहुत फायदेमंद है यह योगासन, जानिए इससे जुड़ी अहम बातें
खराब जीवनशैली शरीर को कई बीमारियों का घर बना सकती है और इन बीमारियों से बचने के लिए न सिर्फ दिनचर्या को ठीक करने की जरूरत होती है, बल्कि योग भी इसका एक कारगर उपाय है। ऐसे कई योगासन हैं जिनका नियमित अभ्यास शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। इन्हीं योगासनों में से एक है विपरीतकरणी आसन, जिसका नियमित अभ्यास स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। चलिए फिर इस योगासन से जुड़ी कुछ अहम बातें जानते हैं।
विपरीतकरणी आसन करने का तरीका
इस योगासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट बिछाकर सीधे पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठा कर 90 डिग्री का कोण बना लें। ध्यान रखें कि आपके तलवे ऊपर की ओर ही होने चाहिए। इसके बाद अपने नितंब को ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम दो-तीन मिनट तक रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। इसके बाद दोबारा इस योगासन का अभ्यास करें।
अभ्यास के दौरान बरतें ये सावधानियां
1) जिन लोगों को पेट या रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई बीमारी है तो उन्हें इस योगासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे उनकी समस्या बढ़ सकती है। 2) अधिक उम्र के लोगों और गर्भवती महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 3) इस योगासन का अभ्यास करते समय किसी भी तरह की जल्दबाजी करने से बचें क्योंकि ऐसा करने से गंभीर चोट लगने का खतरा होता है।
विपरीतकरणी आसन के अभ्यास से मिलने वाले फायदे
अगर आप नियमित तौर पर विपरीतकरणी आसन का अभ्यास करते हैं तो इससे आपको कई तरह के शारीरिक और मानसिक लाभ मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए इस योगासन के अभ्यास से पूरे शरूर की मांसपेशियों में मजबूती आती है। इसके अलावा इससे शरीर के लचीलेपन को भी बढ़ावा मिलता है और रीढ़ की हड्डी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं इससे दिमाग को शांति भी मिलती है और चिंता आदि से भी दूरी बनी रहती है।
विपरीतकरणी के अभ्यास से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण टिप्स
1) यह योगासन दिखने में जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। इसलिए इसके अभ्यास के दौरान शुरुआत में कुछ असुविधा महसूस हो सकती है। बेहतर होगा अगर आप इस योगासन का अभ्यास योग विशेषज्ञ की निगरानी में करें। 2) इस योगासन की शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए दीवार का सहारा लें। 3) इस मुद्रा से सामान्य अवस्था में धीरे-धीरे आएं ताकि कमर या गर्दन में झटका न आए।