ITR फाइल करते समय इन 10 गलतियों से बचें, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान
कई लोग अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) स्वयं दाखिल करना पसंद करते हैं, लेकिन पूर्ण जानकारी न होने के कारण इस दौरान कई तरह गलतियां होने की संभावना रहती है। इस वजह से असफल टैक्स फाइलिंग और संभावित दंड का भुगतान करना पड़ सकता है। हालांकि, सामान्य गलतियों को जानने से ऐसे परिणामों से बचा जा सकता है। आइए आज हम आपको 10 ऐसी गलतियों के बारे में बताते हैं, जिनसे आपको ITR फाइल करते समय बचना चाहिए।
गलत ITR फॉर्म का उपयोग करना
गलत ITR फॉर्म फाइल करने पर टैक्स फाइलिंग खारिज हो सकती है। ITR फॉर्म आपकी आय के स्रोतों पर निर्भर करता है। वेतनभोगी व्यक्ति ITR फॉर्म 1 का उपयोग कर सकते हैं, जबकि निवेश से पूंजीगत लाभ वाले ITR फॉर्म 2 का उपयोग करें। व्यावसायिक लाभ वाले स्व-नियोजित व्यक्तियों के लिए ITR फॉर्म 3 आवश्यक है। बता दें कि कुल 7 ITR फॉर्म हैं, इसलिए सही का ही चयन करें।
गलत निर्धारण साल का चयन करना
टैक्स भरने वाले अक्सर "निर्धारण साल (Assessment Year)" और "वित्तीय वर्ष" शब्दों से बीच कंफ्यूज रहते हैं। 31 जुलाई, 2023 तक ITR सबमिट करते समय आप 1 अप्रैल, 2022 और 31 मार्च, 2023 के बीच अर्जित आय की रिपोर्ट कर रहे हैं तो वित्तीय वर्ष 2022-23 है। निर्धारण साल हमेशा वित्तीय वर्ष से एक वर्ष आगे होता है, इसलिए यह इस मामले में 2023-24 होगा। याद रखें कि निर्धारण साल वित्तीय वर्ष से आगे होता है।
गलत निजी जानकारी भरना
ITR फाइल करते समय पर्सनल जानकारी में सटीकता महत्वपूर्ण है। नाम, पैन कार्ड नंबर, ईमेल आईडी या फोन नंबर जैसी गलत जानकारी ITR की प्रक्रिया में समस्या पैदा कर सकती है। इसके कारण आपका टैक्स रिफंड मिलने में देरी हो सकती है या रिफंड नामंजूर हो सकता है। इसके अतिरिक्त, सुनिश्चित करें कि आपकी संपर्क जानकारी भी सही हो क्योंकि टैक्स विभाग आपके ITR के संबंध में आपसे संवाद करने के लिए इसका उपयोग कर सकता है।
सभी बैंक खातों का नहीं बताना
अगर आपके एक से ज्यादा बैंक खाते हैं तो ITR भरते समय उन सभी का जिक्र जरूर करें। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो यह इनकम टैक्स के नियमों का उल्लंघन है। नियमों के अनुसार, सभी टैक्स देने वालों को अपने घरेलू और विदेशी बैंक खातों के बारे में जानकारी देनी चाहिए और उन खातों की भी जो वित्तीय वर्ष के दौरान बंद कर दिए गए।
सभी आय स्रोतों का नहीं बताना
अपना ITR भरते समय गैर-वेतन स्रोतों सहित अपनी आय के सभी स्रोतों का खुलासा करना महत्वपूर्ण है। भले ही आप किराए, ब्याज, पूंजीगत लाभ और अन्य स्रोतों से इनकम टैक्स से मुक्त हो, लेकिन ITR भरते समय सभी अलग-अलग आय और उनके स्रोतों का जिक्र जरूर करें। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपको आगे जाकर मुसीबत हो सकती है।
फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 को वेरिफाई नहीं करना
फॉर्म 26AS को वेरिफाई करें, जो एक बैंक पासबुक के समान है और इसमें आपकी कमाई, TDS, एडवांस टैक्स भुगतान आदि का विवरण शामिल होता है। फॉर्म 26AS में विवरण और आपके नियोक्ता द्वारा प्रदान किए गए फॉर्म 16 में गणना के बीच टैक्स फाइलिंग में गलतियां होने की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए सटीक टैक्स फाइलिंग के लिए दोनों रूपों में सभी सूचनाओं को क्रॉसचेक और वेरिफाई करना महत्वपूर्ण है।
तय तारीख से पहले ITR सब्मिट न करना
ITR फाइल करने की ड्यू डेट आमतौर पर निर्धारण साल की 31 जुलाई होती है, लेकिन सरकार इसे आगे बढ़ा भी सकती है। तय तारीख तक फाइल न करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है। जैसे कि 10,000 अवैतनिक टैक्स पर प्रति माह 1 प्रतिशत की दंडात्मक ब्याज दर और भुगतान किए गए किसी भी अतिरिक्त टैक्स के लिए रिफंड प्राप्त करने में देरी जैसी कार्रवाई हो सकती है।
ITR फाइल ही न करना
ITR सबमिट करने की समय सीमा से चूकना बिल्कुल भी सही नहीं है और सबसे ज्यादा गलत अपना ITR बिल्कुल सब्मिट नहीं करना है। इसके परिणामस्वरूप भारत के आयकर विभाग द्वारा कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस तरह आपको कई तरह की सजा मिल सकती है, जिसमें टैक्स बकाया पर दंडात्मक ब्याज, टाले गए टैक्स का 50 प्रतिशत जुर्माना या 3 से 7 साल तक का कारावास भी शामिल है।
पूंजीगत लाभ या हानियों का खुलासा नहीं करना
टैक्स देने वाले अक्सर अपनी ITR जमा करते समय पूंजीगत लाभ और नुकसान का विवरण नहीं भरते हैं। इस गलती के गंभीर परिणाम हो सकते हैं और आपकी इनकम टैक्स ऑडिट भी हो सकती है। नियमों के मुताबिक, व्यक्तियों को अपना ITR भरते समय सभी पूंजीगत लाभ या नुकसान का खुलासा करने की आवश्यकता होती है। यह बहुत महत्वपूर्ण है। इसका कारण है कि अधिकारियों के पास अब ऐसी गलतियों का पता लगाने के कई तरीके हैं।
कटौती दावा करना भूल जाना
अपने टैक्स को कम करने के लिए सभी पात्र कटौतियों जैसे कि चिकित्सा बीमा, शिक्षा ऋण ब्याज और धर्मार्थ दान का करना सुनिश्चित करें। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये कटौतियां केवल तभी लागू होती हैं जब आप पुरानी व्यवस्था के तहत अपना टैक्स भर रहे हों। इन कटौतियों को भरकर आप प्रभावी रूप से अपने टैक्स योग्य आय को कम कर सकते हैं और कम टैक्स का भुगतान कर सकते हैं।