पृथ्वी मुद्रा: स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है यह योग, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
पृथ्वी मुद्रा स्वास्थ्य को ढेरों लाभ देने वाली हस्त मुद्रा है। यह मुद्रा शरीर के अंदर मौजूद पृथ्वी तत्व को बढ़ाती है और अग्नि तत्व को कम कर देती है, इसलिए इसे अग्नि शामक मुद्रा भी कहा जाता है। पृथ्वी मुद्रा कई शारीरिक समस्याओं का उपचार करने और आधात्मिक संतुलन को बढ़ाने के लिए बहुत ही लाभदायक है। आइए आज हम आपको इस मुद्रा के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी कुछ अहम बातें बताते हैं।
पृथ्वी मुद्रा के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को अपने दोनों घुटनों पर रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों की अनामिका यानि रिंग फिंगर के ऊपरी हिस्से को अंगूठे के ऊपरी हिस्से से मिलाएं और बाकि उंगलियों को सीधा रखें। अब अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें। 30 से 45 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
मुद्रा के अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
मुद्रा का अभ्यास करने से पहले गहरी सांस लें और अभ्यास के दौरान अपनी सांस को सामान्य रखें। अगर आपको पीठ में दर्द या फिर रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई बीमारी है तो ज्यादा देर तक इस मुद्रा का अभ्यास न करें। इस मुद्रा का अभ्यास करते समय नाक से ही सांस लें और मुंह से सांस लेने का प्रयास न करें। कुछ खाने या पीने के तुरंत बाद इस मुद्रा का अभ्यास न करें।
मुद्रा के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
अगर आप रोजाना इस मुद्रा का अभ्यास करते हैं तो इससे आपका मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम ऊर्जान्वित होता है। इस मुद्रा से मेटाबॉलिज्म की कार्यक्षमता को बढ़ावा मिलता है जिससे वजन नियंत्रित करने में काफी मदद मिल सकती है। इससे पाचन क्रिया पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। यह मुद्रा ध्यान केंद्रित करने की शक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ाती है। इस मुद्रा से बालों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
मुद्रा के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
बेहतर होगा कि आप इस मुद्रा का अभ्यास सुबह आठ बजे से पहले करें क्योंकि इससे आपको इसका भरपूर फायदा मिल सकता है। अगर आप पहली बार इस मुद्रा का अभ्यास करने जा रहे है तो किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में यह अभ्यास करें। इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान सांस पर ज्यादा दबाव न डालें। किसी शांत जगह पर इस मुद्रा का अभ्यास करें ताकि ध्यान लगाना आसान हो।