सिद्धासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और अन्य अहम बातें
सिद्धासन दो शब्दों (सिद्ध और आसन) के मेल से बना है जिसमें सिद्ध का मतलब पूर्ण और आसन का मतलब मुद्रा है। इस आसन को सभी योगासनों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह अनगिनत सिद्धियां दिलाने के साथ-साथ कई तरह के रोगों से राहत देने वाला आसन है। आपके लिए इस आसन का नियमित अभ्यास करना लाभदायक हो सकता है। आइए आज हम आपको सिद्धासन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
सिद्धासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब अपने दाएं पैर की एड़ी को अंडकोष के बीच में रखे और फिर बाएं पैर के तलवे को दायीं जांघ के आतंरिक भाग से सटाकर रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें और फिर अपनी दोनों आंखें बंद कर लें। इस दौरान अपने मन को शांत रखें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें। कुछ मिनट बाद आसन को छोड़ दें।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
इस आसन का अधिक समय तक अभ्यास शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इस आसन का अभ्यास ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट तक करना लाभदायक है। जिन लोगों को घुटने में दर्द या फिर कोई अन्य समस्या हो तो उन्हें इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। बवासीर या फिर किडनी से जुड़ी कोई समस्या होने पर भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। गंभीर पीठ दर्द या स्लिप डिस्क की परेशानी होने पर भी यह आसन न करें।
सिद्धासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
सिद्धासन के अभ्यास से शरीर की समस्त नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है। यह आसन शरीर की तमाम मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। इस आसन को करने से पुरुषों में यौन रोग दूर होते हैं। यह आसन स्मरण शक्ति को बढ़ाता है और इससे सकारात्मक सोच बढ़ती है। इस आसन से मानसिक विकार दूर होते हैं। इससे पेट के अंदरूनी अंगों पर भी सकारात्मक असर पड़ता है और पाचन शक्ति की कार्यक्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
सिद्धासन के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
अगर आप पहली बार इस योगासन का अभ्यास करने वाले हैं तो आपको बता दें कि इसका अभ्यास सुबह के वक्त खाली पेट ही किया जाता है। इस आसन का अभ्यास किसी शांत जगह पर बैठकर करें ताकि आपका ध्यान पूरी तरह से इस आसन पर केंद्रित हो सके। अगर आप इस आसन को करते समय अपने घुटने मोड़ने में असक्षम हों या इस आसन को करते समय आपके घुटनों में अचानक दर्द होने लगे तो यह आसन न करें।