
मार्क जुकरबर्ग ने 700 अरब रुपये के डाटा लीक मामले में किया समझौता
क्या है खबर?
मार्क जुकरबर्ग ने मेटा के शेयरधारकों के साथ डाटा लीक मामले में अरबों डॉलर के मुकदमे का निपटारा करने पर सहमति जताई है। ये मुकदमा फेसबुक द्वारा की गई निजता उल्लंघनों को लेकर था। शेयरधारक करीब 8 अरब डॉलर (लगभग 700 अरब रुपये) के हर्जाने की मांग कर रहे थे, हालांकि समझौते में तय हुई राशि का खुलासा नहीं हुआ है। डेलावेयर की अदालत में सुनवाई शुरू होने से पहले इस समझौते की घोषणा हुई।
मामला
क्या था पूरा मामला?
यह मुकदमा 2018 में उस समय दायर किया गया था जब यह सामने आया था कि राजनीतिक परामर्श फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका ने लाखों फेसबुक यूजर्स का डाटा हासिल कर लिया था। शेयरधारकों का आरोप था कि जुकरबर्ग और कंपनी के अन्य अधिकारियों की लापरवाही के चलते यह डाटा लीक हुआ, जिससे मेटा को जुर्माना और कानूनी खर्चों के रूप में अरबों डॉलर खर्च करने पड़े। उन्होंने 11 वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था।
राहत
प्रतिवादियों को मिली राहत
समझौते से सबसे बड़ी राहत यह रही कि अब प्रतिवादी अधिकारियों को अदालत में शपथ के तहत गवाही नहीं देनी पड़ेगी। इनमें मेटा की पूर्व CEO शेरिल सैंडबर्ग, नेटफ्लिक्स के सह-संस्थापक रीड हेस्टिंग्स और पैलंटिर के पीटर थिएल जैसे नाम शामिल हैं। बुधवार को एक गवाह जिएंट्स ने स्वीकार किया कि FTC का 5 अरब डॉलर (लगभग 430 अरब रुपये) का जुर्माना काफी बड़ा था, लेकिन यह जुकरबर्ग को कानूनी सुरक्षा देने के लिए नहीं चुकाया गया था।
अन्य
अब नहीं मिलेगा खुला सच
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मुकदमा चलता तो यह उजागर हो सकता था कि मेटा ने किस हद तक गोपनीयता नियमों का उल्लंघन किया। कोलोराडो विश्वविद्यालय की प्रोफेसर एन लिप्टन ने कहा कि यह मुकदमा समाज के लिए एक जरूरी सबक साबित हो सकता था, लेकिन अब समझौते के चलते यह जानकारी सामने नहीं आ सकेगी। मेटा ने कहा है कि वह 2019 से डाटा सुरक्षा सुधारों में अरबों डॉलर का निवेश कर चुकी है।