फेफड़ों को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स करने में सहायक हैं ये प्राणायाम
क्या है खबर?
जब फेफड़ों में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं तो इससे उनकी कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वे अच्छी तरह से नहीं फैलते हैं। इससे खून में ऑक्सीजन की कमी और अन्य कई तरह की सांस से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
आइए आज आपको कुछ ऐसे प्राणायामों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जिनकी मदद से आप अपने फेफड़ों को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स करने के साथ ही स्वस्थ रख सकते हैं।
#1
उद्गीथ प्राणायाम
उद्गीथ प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें।
अब दोनों आंखों को बंद करके गहरी सांस लें और इसे धीरे-धीरे छोड़ते हुए ओम का जाप करें। ध्यान रखें की जब आप यह उच्चारण कर रहे हों, तब आपका ध्यान आपकी सांसों पर केंद्रित हो।
शुरूआत में इस प्राणायाम का अभ्यास 5-10 मिनट तक करें और फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
#2
शीतली प्राणायाम
सबसे पहले योगा मैट पर किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं और आंखें बंद करें।
अब अपने हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रखकर अपनी जीभ से नली का आकार बना लें। दोनों किनारों से जिह्वा को मोड़कर पाइप का आकार बना लें, फिर इसी स्थिति में लंबी और गहरी सांस लेकर जीभ को अन्दर करके मुहं को बंद कर लें।
इसके बाद अपनी नाक के जरिए धीरे-धीरे सांस निकालें। इस प्रक्रिया को कम से कम 20-25 बार दोहराएं।
#3
शीतकारी प्राणायाम
शीतकारी प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर किसी आरामदायक मुद्रा में बैठें। अब जीभ को ऊपर की ओर रोल करें और इससे ऊपरी तालु को छुएं।
इसके बाद दांतों को एक साथ मिलाएं और होठों को अलग रखें ताकि दांत दिखें। फिर धीरे से लंबी सांस लें। इस दौरान मुंह से 'हिस' की आवाज उत्पन्न होगी। इसके बाद अपने होंठों को आपस में मिलाकर नाक से सांस को धीरे से छोड़े।
इस प्रक्रिया को लगभग 20-25 बार दोहराएं।
#4
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम के लिए योगा मैट पर पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं।
अब अपने दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर अपने कानों के पास लाएं और अंगूठों से अपने दोनों कानो को बंद करें, फिर हाथों की तर्जनी उंगलियों को माथे पर और मध्यमा, अनामिका और कनिष्का उंगली को बंद आंखों के ऊपर रखें।
इसके बाद मुंह बंद करें और नाक से सांस लेते हुए ओम का उच्चारण करें। कुछ मिनट बाद धीरे-धीरे प्राणायाम को छोड़ दें।