फेफड़ों का कैंसर बनाम अस्थमा: जानिए इन बीमारियों के लक्षणों के बीच का अंतर
क्या है खबर?
जब फेफड़ों में हानिकारक कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं तो फेफड़ों का कैंसर होता है।
दूसरी ओर अस्थमा में श्वास नलियों में सिकुडन और सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से फेफड़ों तक ऑक्सीजन ठीक प्रकार से नहीं पहुंच पाता है और इससे सांस लेने में तकलीफ होती है।
हालांकि, इन बीमारियों के कुछ लक्षण एक जैसे होते हैं, जिनकी वजह से लोग इन्हें लेकर उलझन में रहते हैं।
आइए जानते हैं कि बीमारियों के लक्षण क्या हैं।
फेफड़ों का कैंसर
फेफड़ों के कैंसर की ओर इशारा करते हैं ये लक्षण
इस बीमारी के लक्षण पहले दिखाई देने लगते हैं, लेकिन कई लोग उन्हें आम शारीरिक समस्या समझकर नजरअंदाज करते रहते हैं और जब उन्हें इसका पता चलता है, तब तक बीमारी काफी गंभीर हो चुकी होती है।
इसमें लंबे समय तक खांसी बने रहना, सांस लेने में तकलीफ होना, छाती में दर्द होना और गले में तरह-तरह के बदलाव होना आदि शामिल हैं।
अगर आप खुद में ये लक्षण महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
अस्थमा
अस्थमा से जुड़े लक्षण
अस्थमा के सामान्य लक्षणों में खांसी आना, सांस लेने-छोड़ने के दौरान पसलियों के बीच की त्वचा का ऊपर और नीचे होना, सांस लेने में तकलीफ होना खासकर जब एक्सरसाइज की जा रही हो और सांस लेने के दौरान घरघराहट महसूस होना शामिल है।
वहीं स्थिति गंभीर होने पर चेहरे और होंठो पर नीलापन आना, पल्स का तेज होना, अत्याधिक तनाव, पसीना आना, अस्थाई रूप से सांस जाना और सीने में दर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं।
इलाज
फेफड़ों के कैंसर का इलाज
अगर समय रहते लक्षणों का पता चल जाए और डॉक्टरी जांच को प्राथमिकता दी जाए तो इस घातक बीमारी का इलाज संभव है।
शुरूआती चरण के फेफड़ों के कैंसर वाले रोगियों के लिए इलाज की दर 80 से 90 प्रतिशत तक हो सकती है।
जब किसी को फेफड़ों का कैंसर होता है तो उसे लगता है कि अब मौत निश्चित है, लेकिन सही उपचार से इस बीमारी का सामना किया जा सकता है।
बचाव
अस्थमा की स्थिति को नियंत्रित करने के तरीके
अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है, इसलिए समय-समय पर अपना हेल्थ चेकअप करवाते रहे।
इन्फ्लूएंजा और निमोनिया अस्थमा का कारण बन सकते हैं, इसलिए इनका टीकाकरण जरूर करवाएं।
इसके अतिरिक्त अस्थमा के लक्षणों की पहचान करके तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आपको अस्थमा का पहला अटैक आ चुका है तो इलाज कराने में बिल्कुल भी देरी न करें और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों को सही समय पर लें।