कीटो बनाम इंटरमिटेंट फास्टिंग: जानिए वजन घटाने में कौन-सी डाइट है ज्यादा प्रभावी
कीटो और इंटरमिटेंट फास्टिंग 2 अलग-अलग डाइट हैं, जिनका लोग वजन घटाने के उद्देश्य से पालन करते हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग में सामान्य डाइट से अलग उपवास रखते हुए खाने का एक पैटर्न होता है, जबकि कीटो में कार्बोहाईड्रेट बहुत कम उपयोग किया जाता है और सीमित मात्रा में प्रोटीन और फैट्स लिया जाता है। आइए जानते हैं कि वजन घटाने में इन दोनों में से कौन-सी डाइट ज्यादा प्रभावी है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?
इंटरमिटेंट फास्टिंग उपवास का एक तरीका है और इसके 10 प्रकार हैं, जिसमें से सबसे चर्चित 16/8 इंटरमिटेंट फास्टिंग और हर दूसरे दिन उपवास रखना है। 16/8: इसके अंतर्गत व्यक्ति को 16 घंटे तक उपवास रखना और 8 घंटे का समय खाने के लिए होता है। हर दूसरे दिन का उपवास: इसमें हफ्ते के हर दूसरे दिन उपवास रखा जाता है। उदाहरण के लिए अगर कोई सोमवार को खाना खा रहा है तो वो मंगलवार को उपवास रख सकता है।
कीटो डाइट कैसे काम करती है?
इसमें ग्लूकोज की जगह कीटोंस शरीर को ऊर्जा देने का काम करते हैं। हर व्यक्ति को अलग संख्या में कीटोंस की जरूरत होती है। कीटोंस एनर्जी का दूसरा विकल्प है, जो शरीर में ऊर्जा सप्लाई करता है। इसमें कार्बोहाईड्रेट्स की जगह शरीर फैट बर्न कर ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करता है। यही वजह है कि इसका पालन करने वाले लोगों को कार्बोहाईड्रेट्स बहुत कम मात्रा में लेना होता है।
दोनों डाइट से मिलने वाले फायदे
कीटो: इस डाइट से शरीर फैट बर्न करने की मशीन की तरह काम करता है, जिससे वजन तेजी से कम होता है। यह मधुमेह रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। इंटरमिटेंट फास्टिंग: इंटरमिटेंट फास्टिंग सामान्य वजन, अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों के बीच वजन घटाने में प्रभावी हो सकती है। इसके अलावा यह हृदय को स्वस्थ रखने, खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने, कैंसर के जोखिम कम करने और लीवर को डिटॉक्स करने में भी मदद कर सकती है।
डाइट से होने वाले नुकसान
कीटो: इससे शुरुआत में लोगों को ज्यादा थकान, अधिक नींद आना, सिरदर्द, जी मचलाना आदि की समस्या हो जाती है। इसे कीटो फ्लू भी कहा जा सकता है। इसमें व्यक्ति बार-बार बाथरूम भी जाता है। हालांकि, समय के साथ सब ठीक हो जाता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग: उपवास की वजह से चिड़चिड़ाहट या मूड स्विंग हो सकता है या खाने की इच्छा और ज्यादा बढ़ सकती है। साथ ही चक्कर आने की परेशानी हो सकती है।
इनमें से कौन-सी डाइट है अधिक प्रभावी?
यह आपका व्यक्तिगत फैसला है कि आपको किस डाइट का पालन करना चाहिए क्योंकि दोनों ही वजन घटाने में मदद कर सकती हैं। हालांकि, इस शोध से पता चलता है कि कीटो डाइट के बाद लोगों का वजन 2 से 3 सप्ताह के भीतर कम हो जाता है, जबकि इंटरमिटेंट फास्टिंग के साथ वजन में कोई भी बदलाव देखने में 1 महीना या उससे अधिक समय लग सकता है।